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क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे ग्रह से हजारों करोड़ों किलोमीटर दूर, अंतरिक्ष के अनंत सन्नाटे में भारतीय संगीत की धुन गूंज रही हैं? यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक सच्चाई है। 1977 में नासा (NASA) ने वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2 नामक दो अंतरिक्ष यान भेजे थे, जिनमें गोल्डन रिकॉर्ड (Golden Record) नामक एक विशेष डिस्क लगाई गई थी। (Source: NASA)
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इस रिकॉर्ड में पृथ्वी की ध्वनियों, प्राकृतिक आवाजों और विभिन्न संस्कृतियों के संगीत को दर्ज किया गया था। वॉयेजर-1 को 5 सितंबर 1977 और वॉयेजर-2 को 20 अगस्त 1977 को लॉन्च किया गया था। (Source: NASA)
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वॉयेजर मिशन: मानवता का संदेश अंतरिक्ष में
वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2 को 1977 में अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने और सौरमंडल से बाहर जाने वाले पहले मानव निर्मित यान के रूप में भेजा गया था। इस मिशन का उद्देश्य सिर्फ वैज्ञानिक खोज तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें एक सांस्कृतिक संदेश भी भेजा गया था। (Source: NASA) -
गोल्डन रिकॉर्ड को इस उम्मीद में शामिल किया गया था कि अगर कभी कोई बाहरी सभ्यता इसे प्राप्त करे, तो वे पृथ्वी और उसके वासियों के बारे में जान सकें। (Source: NASA)
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गोल्डन रिकॉर्ड में भारत का योगदान
गोल्डन रिकॉर्ड 12-इंच की सोने की परत चढ़ी तांबे की डिस्क थी। इस रिकॉर्ड में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कुल 27 संगीत रचनाओं को शामिल किया गया था, जिनमें विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के गीत मौजूद थे। (Source: NASA) -
इनमें पश्चिमी शास्त्रीय संगीत, अफ्रीकी लोकगीत, जापानी बांसुरी संगीत, अमेरिकी ब्लूज़ और भारतीय शास्त्रीय संगीत भी शामिल था। भारत से ‘जात कहां हो’ नामक एक शास्त्रीय रचना को शामिल किया गया, जिसे जयपुर घराने की प्रसिद्ध गायिका केसरबाई केरकर ने गाया था। (Source: NASA)
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‘जात कहां हो’ – भारतीय संगीत का अंतरिक्ष तक सफर
‘जात कहां हो’ राग भैरवी में गाया गया एक शानदार शास्त्रीय गीत है। केसरबाई केरकर भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक प्रतिष्ठित गायिका थीं, और उनकी इस रचना को 20वीं सदी के महानतम संगीतकारों में से एक माना जाता है। (Source: NASA) -
इस गाने को वॉयेजर के गोल्डन रिकॉर्ड में इसलिए शामिल किया गया क्योंकि यह भारतीय संगीत की गहराई और उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। यह गीत जयपुर-अतरौली घराने की शैली में गाया गया था और इसकी रचना भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है। (Source: NASA)
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इस रिकॉर्ड में यह अकेला भारतीय गीत है, जो 48 सालों से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है और शायद भविष्य में किसी बाहरी सभ्यता तक भी पहुंचे। वहीं बात करें केसरबाई केरकर की तो उन्हें ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ और ‘पद्म भूषण’ से भी सम्मानित किया गया था। रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘राग की रानी’ की उपाधि दी थी, जो उनके संगीत के महत्व को दर्शाता है। (Source: NASA)
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गोल्डन रिकॉर्ड में शामिल अन्य प्रसिद्ध गाने
गोल्डन रिकॉर्ड में विश्व प्रसिद्ध गाने शामिल हैं: जोहान सेबेस्टियन बाख का ‘ब्रैंडेनबर्ग कंसर्टो’, लुडविग वान बीथोवेन का ‘सिंफनी नंबर 5’, मोजार्ट का ‘द मैजिक फ्लूट’, चक बेरी का ‘जॉनी बी. गुड’, ब्लाइंड विली जॉनसन का ‘डार्क वाज़ द नाइट, कोल्ड वाज़ द ग्राउंड’, लुइस आर्मस्ट्रांग का ‘मेलनकोली ब्लूज़’ आदि। (Source: NASA) -
गोल्डन रिकॉर्ड में शामिल अन्य ध्वनियां
गोल्डन रिकॉर्ड में सिर्फ संगीत ही नहीं, बल्कि 55 भाषाओं में अभिवादन, प्राकृतिक ध्वनियां (बारिश, हवा, समुद्र की लहरें, पक्षियों की आवाजें) और पृथ्वी की झलकियाँ भी भेजी गईं। इसमें बाख, बीथोवन, मोजार्ट जैसे महान संगीतकारों की रचनाएं भी दर्ज हैं। (Source: NASA) -
वॉयेजर-1 और वॉयेजर-2: अब कहां हैं?
वॉयेजर-1 सौरमंडल से बाहर निकलकर इंटरस्टेलर स्पेस (अंतरतारकीय अंतरिक्ष) में प्रवेश कर चुका है। यानी की यह सूर्य-पृथ्वी की दूरी से 150 गुना अधिक दूर जा चुका है। वहीं, वॉयेजर-2 भी इसी रास्ते पर है और अंतरिक्ष के गहरे रहस्यों को उजागर कर रहा है। ये दोनों अंतरिक्ष यान अब तक पृथ्वी से सबसे दूर जाने वाले मानव निर्मित वस्तु बन चुके है। (Source: NASA) -
क्या एलियंस को मिलेगा हमारा संदेश?
ये दोनों स्पेसक्राफ्ट अब किसी भी ग्रह की ओर नहीं बढ़ रहे, बल्कि अनिश्चित दिशा में अंतरिक्ष में घूम रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि वॉयेजर के संदेशों को कम से कम 500 करोड़ साल तक संरक्षित किया जा सकता है। (Source: NASA) -
इसका मतलब यह है कि अगर कभी कोई एलियन सभ्यता इस स्पेसक्राफ्ट को खोजती है और इसे सुनने में सक्षम होती है, तो वे यह जान पाएंगे कि पृथ्वी पर एक ऐसी सभ्यता थी, जिसने विज्ञान और संगीत दोनों में अपनी अमिट छाप छोड़ी थी। (Source: NASA)
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