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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज छात्रों को मश्वरा दिया कि वह अपने मकसद पर नजर टिकाए रहें और सफलता अथवा असफलता के तराजू में अपनी जिंदगी को न तौलें। (स्रोत-पीटीआई)
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नक्सल प्रभावित इलाके में एजुकेशन सिटी में स्थानीय विद्यार्थियों के साथ संवाद के दौरान मोदी ने छात्रों से कहा कि वह 125 करोड़ भारतीयों को अपना परिवार समझते हैं और उनके लिए काम करने से कभी थकते नहीं हैं। (स्रोत-पीटीआई)
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वह एक छात्र द्वारा पूछे गए इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि दिन में 18 घंटे काम करने के बाद होने वाली थकान से वह कैसे निपटते हैं। मोदी ने कहा कि वह कभी अपने काम के घंटे नहीं गिनते। (स्रोत-पीटीआई)
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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं कभी नहीं गिनता कि मैंने कितने घंटे काम किया क्योंकि कोई व्यक्ति ऐसा तभी करता हे जब उसे उसके काम में आनंद न आ रहा हो। काम करते हुए कोई थकता नहीं, काम न कर पाने का एहसास व्यक्ति को थका देता है। कोई जितना काम करे उतना अच्छा। जब आप अपना होमवर्क खत्म करते हैं तब आपको खुशी और तसल्ली नहीं होती?’’ (स्रोत-पीटीआई)
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छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘जब आप अपने लोगों के लिए जीते हैं तो कभी थक नहीं सकते। भारत के लोग मेरे अपने हैं। मुझे उनके लिए काम करके खुशी क्यों नहीं होगी।’’ (स्रोत-पीटीआई)
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बच्चों को अपने जीवन को सफलता और असफलता के तराजू में न तौलने का मश्वरा देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी असफलता से कितना सीखते हैं। अगर आपका ध्यान अपने मकसद पर है और आप उसे हासिल करने के लिए मेहनत कर रहे हैं तो यह सब बातें मायने नहीं रखतीं।’’ (स्रोत-पीटीआई)
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छत्तीसगढ़ की अपनी इस यात्रा के दौरान मोदी ने छात्रों से कहा कि वह खेलों में जरूर रुचि लें, भले ही वह आईएएस अधिकारी या डाक्टर बनना चाहते हों। उन्होंने इस संबंध में झारखंड की आदिवासी लड़कियों का उदाहरण दिया, जिन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भारत का नाम रौशन किया। (स्रोत-पीटीआई)
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यह पूछे जाने पर कि अगर वह राजनीतिज्ञ नहीं होते तो क्या बनना चाहते, प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बच्चा बनना चाहते। (स्रोत-पीटीआई)