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भारतीय राजनीति में वंशवाद दशकों से चला आ रहा है। कई ऐसे बड़े नेता रहे जिनके बच्चों ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीति को ही अपना करियर चुना। वहीं देश के तमाम राज्यों के कई मुख्यमंत्री ऐसे भी रहे जिनके बच्चों ने कबी राजनीति में कदम नहीं रखा। उन्होंने अपने लिए अलग करियर चुना। आइए डालते हैं ऐसे ही कुछ चर्चित नामों पर एक नजर:
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दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत मदन लाल खुराना के दो बेटे हैं। विमल खुराना और हरीश खुराना। हरीश दिल्ली बीजेपी से जुड़े हैं। वहीं विमल जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, ने राजनीति से दूरी ही बनाए रखी। वह अपना खुद का व्यवसाय करते थे। साल 2018 में उनका निधन हो गया था।
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार भी राजनीति से दूर हैं। वह इंजीनियर रहे हैं।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत विलासराव देशमुख के बेटे रितेश देशमुख को भी राजनीति से दूरी ही रास आई। उन्होंने एक्टिंग को अपना करियर बनाया।
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गोवा के सीएम रहे दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर कभी राजनीति में नही आए। उन्होंने सालों अमेरिका की सिलिकन वैली में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम किया। भारत लौटकर वह अपना मैनुफैक्चरिंग का बिजनेस करते हैं।
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दिवंगत सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। उनकी बेटी बांसुरी स्वराज ने मां का वकालत का पेशा तो चुना लेकिन राजनीति में नहीं आईं।
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तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन भी फिलहाल राजनीति में नहीं हैं। वह तमिल फिल्मों के तर्तिक एक्टर और प्रोड्यूसर हैं।
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तीन बार यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव भी राज्य के मुख्यमंत्री बने। वहीं उनके छोटे बेटे प्रतीक यादव राजनीति से दूर हैं औऱ अपना बिजनेस करते हैं। प्रतीक मुलायम की दूसरी पत्नी साधाना गुप्ता के बेटे हैं। (यह भी पढ़ें – मुलायम सिंह के सौतेले बेटे हैं प्रतीक, इसलिए राजनीति से दूर हैं अखिलेश यादव के सौतेले भाई)
