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Raja Bhaiya: राजा भैया यूपी की राजनीति के चर्चित चेहरे हैं। प्रतापगढ़ में भदरी रियासत के राजकुमार राजा भैया की यूं तो राजनीतिक महकमे में अच्छी पैठ है लेकिन मायावती (Mayawati) एक ऐसी नेता रहीं जिनसे हमेशा ही उनका 36 का ही आंकड़ा रहा। 2002 में मायावती ने राजा भैया पर पोटा लगा उन्हें जेल में ठूंस दिया था। मायावती के बाद जब मुलायम (Mulayam Singh yadav) सीएम बने तब राजा भैया जेल से बाहर आ पाए थे।
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राजा भैया के लिए कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव से उनके संबंध काफी मधुर हैं। मुलायम सरकार में वह खाद्य व रसद मंत्री भी रहे थे। (यह भी पढ़ें: मरते शख्स ने जताई थी राजा भैया को देखने की अंतिम इच्छा, मिलने के कुछ समय बाद तोड़ दिया था दम )
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राजा भैया के लिए ये भी प्रचलित है कि मुलायम सिंह यादव ने ही सीएम बनने के बाद उनपर से तमाम आपराधिक मुकदमे खत्म करवाए थे। राजा भैया इसे सरासर गलत बताते हैं। (यह भी पढ़ें: राजा भैया के महल में एंट्री से काफी पहले बंद करनी पड़ती है कार, गलती पर भड़क जाते हैं उनके पिता)
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अपने कई इंटरव्यूज में राजा भैया ने इस पर खुलकर सफाई दी है कि मुलायम सिंह ने उनपर से पोटा नहीं हटाया था। (यह भी पढ़ें: जब प्रेग्नेंट थीं पत्नी तब जेल में बंद थे राजा भैया, मुलायम ने निकाला तब देख पाए थे बेटों का मुंह )
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राजा भैया का कहना है कि वह पोटा के केस में कोर्ट से बरी हुए हैं। उनके मुताबिक तमाम न्यायिक प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही मायावती सरकार में उनपर लगे मुकदमों से आजादी मिली थी। ( यह भी पढ़ें: ‘मायावती को छूकर हाथ गंदे नहीं करना चाहता’, जब बसपा चीफ के लिए ऐसा कुछ बोल गए थे राजा भैया )
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बता दें कि राजा भैया भले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतते रहे हों लेकिन वह हमेशा समाजवादी पार्टी के साथ ही दिखाई दिये। मुलायम सिंह के बाद अखिलेश यादव संग भी उनके रिश्ते सालों तक अच्छे रहे। (यह भी पढ़ें : ‘पढ़ेगा तो बुजदिल बन जाएगा’, राजा भैया को अनपढ़ रखना चाहते थे उनके पिता, मां ने चोरी से भेजा था स्कूल )
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हालांकि 2019 में राज्यसभा के चुनाव के दौरान अखिलेश यादव और राजा भैया में मतभेद सामने आया था। दरअसल तब अखिलेश ने राजा भैया से बसपा के प्रत्याशी के लिए मतदान के लिए कहा था। लेकिन कुंडा विधायक ने ऐसा नहीं किया था। (यह भी पढ़ें: जब राजा भैया पर भड़क गए थे अखिलेश यादव, याद दिलाया था क्षत्रिय धर्म)
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बता दें कि राजा भैया अब अपनी पार्टी बना चुके हैं। पार्टी का नाम उन्होंने जनसत्ता दल रखा है। इस बार का विधानसभा चुनाव वह अपनी पार्टी के बैनर तले ही लड़ेंगे। जनसत्ता दल ने आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। ( यह भी पढ़ें: ‘अपने तालाब में मगरमच्छ पाले हो क्या?..’, जब पहली मुलाकात में राजा भैया से पूछ बैठे थे लालू यादव )
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