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Mayawati Vs Naseemuddin Siddiqui: मायावती बसपा चीफ हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होने के बाद अब तक कई लोग मायावती का साथ छोड़ चुके हैं। कुछ को तो मायावती ने खुद पार्टी से बाहर निकाल दिया। ऐसा ही एक नाम है नसीमुद्दीन सिद्दीकी का। कभी मायावती के बाद बसपा में दूसरे नंबर पर रहे नसीमुद्दीन अब कांग्रेस में हैं। बीएसपी (BSP) से निकाले जाने के बाद उन्होंने मायावती के लिए अपनी कुर्बानी याद दिलाते हुए कहा था कि वह उनके लिए अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गए थे।
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नसीमुद्दीन सिद्दीकी यूपी में बांदा जिले के रहने वाले हैं। वह पहली बार बसपा के टिकट पर 1991 में विधायक चुने गए थे। वह क्षेत्र के पहले मुस्लिम विधायक थे। नसीमुद्दीन धीरे-धीरे मायावती के बेहद खास हो गए।
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2007 में जब मायावती बनीं तो नसीमुद्दीन मिनी सीएम की तरह थे। उनके पास कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। बसपा की तरफ से वह यूपी विधानसभा नेता विपक्ष भी रह चुके हैं।
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10 मई 2017 में अनुशासन हीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए मायावती ने उन्हें बसपा से निकाल दिया था। बसपा से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन ने मायावती पर कई आरोप लगाए थे।
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नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने तब कहा था कि मायावती के लिए मैं इतना समर्पित था कि अपनी इकलौती बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया था। बकौल सिद्दीकी – 1996 में यूपी विधानसभा के चुनाव थे। मायावती बदायूं की बिल्सी सीट से चुनाव लड़ रही थीं।मैं चुनाव प्रभारी था। चुनाव के दौरान मेरी इकलौती बड़ी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई। वो बांदा में थी। मेरी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था। उसने फोन पर बताया कि बेटी की आखिरी सांस चल रही है, आप आ जाओ।
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नसीमुद्दीन ने आगे कहा था- मैंने मायावती जी को ये बताया। उन्होंने चुनाव खराब होने का हवाला देते हुए मुझे जाने से रोक दिया। मैं नहीं गया। मेरी इकलौती बेटी का इलाज के अभाव में इंतकाल हो गया। मैं अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया और मायावती जी का चुनाव लड़ाता रहा। मैं अपनी बेटी की सूरत तक नहीं देख सका।
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बीएसपी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने 2017 में ही राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा नाम की पार्टी बनाई थी। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।