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Mayawati BSP: मायावती की गिनती यूपी ही नहीं देश की बड़े नेताओं में होती है। 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा के चुनाव में उनकी सीधी टक्कर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) से है। बसपा प्रमुख को भरोसा है कि 2007 की तरह वह एक बार फिर से राज्य में सरकार बनाएंगी। हालांकि तब उनके करीबी रहे कई बड़े नेता बसपा से किनारा कर चुके हैं या फिर निकाल दिये गए हैं। आइए डालते हैं बसपा से बाहर जा चुके मायावती के कुछ खास सिपहसालारों पर एक नजर और जानते हैं अब वो किस दल में हैं:
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कभी बसपा में दूसरे नंबर के नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2016 में मायावती का साथ छोड़ दिया था। अब वह बीजेपी में हैं। उनकी बेटी संघमित्रा बदायूं से बीजेपी सांसद हैं तो स्वामी खुद यूपी की योगी सरकार में मंत्री हैं। (यह भी पढ़ें: जब गेस्ट हाउस कांड के बाद प्लेन में टकरा गए थे मायावती और मुलायम, सुरक्षाकर्मियों के फूल गए थे हाथ-पांव )
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नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी मायावती के बेहद करीब थे। बसपा सरकार में उन्हें जूनियर सीएम तक कहा जाता था। 2017 में उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया गया। फिलहाल वह कांग्रेस पार्टी में हैं। (यह भी पढ़ें: मायावती के लिए अपनी इकलौती बेटी को दफनाने तक नहीं गए थे ये मुस्लिम विधायक)
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बसपा के कद्दावर नेता रहे बाबू सिंह कुश्वाहा ने मायावती से अलग होने के बाद पहले तो बीजेपी की सदस्यता ली। फिर जन अधिकार पार्टी नाम से खुद की अपनी अलग पार्टी बना ली। (यह भी पढ़ें: मुलायम सिंह यादव से राजा भैया तक, जानिए इन 7 नेताओं से है मायावती की दुशमनी)
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घोसी से बसपा के सांसद रहे दारा सिंह चौहान की गिनती भी मायावती के करीबियों में होती थी। 2015 में दारा सिंह ने बसपा छोड़ दी थी। फिलहाल वह भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और योगी सरकार में मंत्री भी हैं। (यह भी पढ़ें – मायावती से भी अमीर हैं BSP के ये विधायक, जानिए कौन हैं सबसे ज्यादा संपत्ति वाले यूपी के 7 MLA)
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कांशीराम के समय से ही बसपा के अहम हिस्सा रहे रामअचल राजभर और लाल जी वर्मा को मायावती ने साल 2021 में पार्टी से निकाल दिया था। दोनों अब अखिलेश यादव के साथ सपा में हैं। (यह भी पढ़ें: मायावती ने BSP सांसद को ही जब अपने बंगले पर बुला करवा दिया था अरेस्ट, दोबारा कभी नहीं लड़ पाए चुनाव)
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आर के चौधरी की गिनती भी बसपा के बड़े नेताओं और मायावती के करीबियों में होती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चौधरी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। हालांकि अब वह सपा में हैं। (यह भी पढ़ें: जब अपने छोटे भाई को कंधे पर लेकर 6 किलोमीटर पैदल भागी थीं मायावती, खतरे में थी जान)
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