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भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वैभव का प्रतीक महाकुंभ मेला प्रयागराज में शुरू हो चुका है। (Photo: Jansatta)
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पौष पूर्णिमा के अवसर पर पहले स्नान के साथ इस ऐतिहासिक आयोजन का शुभारंभ हुआ। (Photo: Jansatta)
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देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। सुबह से ही संगम तट पर भक्तों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। (Photo: Jansatta)
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प्रशासन के अनुसार, सुबह 9:30 बजे तक 60 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके थे, और दिन खत्म होते-होते यह संख्या 1 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। (Photo: Jansatta)
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संगम पर हर घंटे करीब 2 लाख श्रद्धालु डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालुओं पर 20 क्विंटल फूलों की वर्षा कर इस आयोजन को और भी भव्य बनाया गया। (Photo: Jansatta)
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इस बार का महाकुंभ 144 साल में बनने वाले एक दुर्लभ खगोलीय संयोग में हो रहा है, जिससे इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है। (Photo: Jansatta)
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यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि खगोलीय दृष्टि से भी ऐतिहासिक है। (Photo: Jansatta)
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त्रिवेणी संगम के आसपास तंबुओं का एक पूरा शहर बस चुका है, जिसकी जनसंख्या अगले 45 दिनों में दुनिया के कई छोटे देशों को भी पीछे छोड़ देगी। (Photo: Jansatta)
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सुरक्षा व्यवस्था की बात करें तो वज्रवाहन, ड्रोन, बम निरोधक दस्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की तैनाती की गई है। (Photo: Jansatta)
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60,000 जवान और पैरामिलिट्री फोर्स की टीमें सुरक्षा संभाल रही हैं। (Photo: Jansatta)
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वहीं, वाहनों की एंट्री बंद है। श्रद्धालु बस और रेलवे स्टेशन से 10-12 किलोमीटर पैदल चलकर संगम पहुंच रहे हैं। (Photo: Jansatta)
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जगह-जगह पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने में लगे हैं। (Photo: Jansatta)
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कुंभ स्थल पर सफाईकर्मी दिन-रात व्यवस्था संभाल रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पानी, शौचालय और चिकित्सा सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है। (Photo: Jansatta)
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अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत राजसी अंदाज में कुंभ में प्रवेश कर रहे हैं। (Photo: Jansatta)
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उनके साथ हाथी, घोड़े, ऊंट और नाच-गाने का आकर्षक नजारा लोगों का ध्यान खींच रहा है। (Photo: Jansatta)
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संतों के दर्शन करने के लिए सड़कों पर भारी भीड़ जमा हो रही है। (Photo: Jansatta)
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इस बार के कुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या भी उल्लेखनीय है। (Photo: Jansatta)
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जर्मनी, ब्राजील और रूस समेत 20 देशों के भक्त संगम में स्नान कर इस पवित्र आयोजन का हिस्सा बने। (Photo: Jansatta)
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यह आयोजन न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक आस्था का केंद्र बन चुका है। (Photo: Jansatta)
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आज से ही हजारों श्रद्धालु संगम तट पर 45 दिनों के कल्पवास की शुरुआत करेंगे। कल्पवासियों के लिए विशेष तंबुओं की व्यवस्था की गई है। (Photo: Jansatta)
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यह साधना का पर्व है, जहां भक्त त्याग, ध्यान और आत्मशुद्धि के साथ समय व्यतीत करते हैं। (Photo: Jansatta)
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महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और सामूहिक एकता का भव्य उत्सव है। (Photo: Jansatta)
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यहां आकर श्रद्धालु अपने धर्म और संस्कारों को गहराई से महसूस करते हैं। (Photo: Jansatta)
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यह आयोजन भारत की प्रशासनिक क्षमता का भी उदाहरण है, जहां लाखों की भीड़ के बीच सुरक्षा, सफाई और सुविधाओं का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है। (Photo: Jansatta)
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26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन, महाकुंभ का समापन होगा। तब तक यह मेला श्रद्धालुओं, साधु-संतों और पर्यटकों के लिए आस्था और भक्ति का अनवरत संगम बना रहेगा। (Photo: Jansatta)
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