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Madhavrao Scindia Vs Indira Gandhi: ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनके पिता माधवराव भी इस मंत्रालय के मंत्री रह चुके हैं। 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें ये मौका मिला था। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने भी उन्हें अपने शासनकाल में मंत्री बनाया था। हालांकि इंदिरा गांधी कभी नहीं चाहती थीं कि माधवराव सिंधिया को उनका बेटा मंत्री बनाए।
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वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब 24 अकबर रोड में इस बात का जिक्र किया है कि इंदिरा गांधी ने मरने से कुछ दिन पहले बेटे राजीव को दो नसीहत दी थी।
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किताब में गांधी परिवार के करीबी रहे माखनलाल फोतेदार के हवाले से बताया गया है कि 1984 में अपने निधन से कुछ दिन पहले ही इंदिरा गांधी ने तब कांग्रेस महासचिव रहे राजीव गांधी और अरुण नेहरू को बुलाया।
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इंदिरा गांधी ने तब राजीव गांधी से कहा कि तुम कभी भी भविष्य में दो काम मत करना। पहला ये कि अमिताभ बच्चन को राजनीति में मत लाना।
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इंदिरा ने बेटे राजीव को जो दूसरी नसीहत दी थी उसमें ये कहा था कि जब भी कभी तुम प्रधानमंत्री बनो तो कभी भी माधवराव सिंधिया को मंत्री मत बनाना।
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इन दोनों बातों का जिक्र माखनलाल फोतेदार ने अपनी आत्मकथा में किया है।
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हालांकि राजीव गांधी ने मां इंदिरा की दोनों नसीहतों में से कोई नहीं मानी। उन्होंने अमिताभ की राजनीति में एंट्री भी करवाई और माधवराव को मंत्री भी बनाया।
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इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर संसद तक भी पहुंचे।
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माधवराव सिंधिया को राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में 1986 से 1989 तक रेल राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी।
