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हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष काल भैरव जयंती 12 नवंबर 2025 (बुधवार) को पड़ेगी। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप काल भैरव के रूप में अवतार लिया था। यह वह रात्रि होती है जब समय भी मानो थम जाता है और भक्तों की हर पुकार सीधे काल भैरव तक पहुंचती है। (Photo Source: ujjain.nic.in)
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कालभैरव जयंती का समय
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 11 नवंबर, रात 11:08 बजे | अष्टमी तिथि समाप्त: 12 नवंबर, रात 10:58 बजे (Photo Source: ujjain.nic.in) -
काल भैरव जयंती का महत्व
काल भैरव को ‘समय के स्वामी’ कहा जाता है। वे भय, नकारात्मकता, नजर दोष और अदृश्य बाधाओं को दूर करते हैं। इस दिन की साधना से व्यक्ति के जीवन में न्याय, साहस और स्थिरता आती है। माना जाता है कि इस रात काल भैरव की उपासना करने से कर्मबंधन टूटते हैं, जीवन में रुके कार्य पूर्ण होते हैं और सुरक्षा चक्र मजबूत होता है। (Photo Source: Unsplash) -
काल भैरव जयंती पर करने योग्य उपाय
दीपक जलाना
रात में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यह दीपक काल भैरव के स्वरूप को प्रसन्न करता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है। (Photo Source: Pexels) -
विशेष भोग
काले तिल, नारियल, गुड़ और केले का भोग लगाएं। जल, दूध और दही से भगवान भैरव का अभिषेक करें। (Photo Source: Pexels) -
जप और ध्यान
मध्यरात्रि के समय शांत मन से बैठकर मंत्र जप करें: ‘ॐ कालभैरवाय नमः’। यह मंत्र भय और मानसिक अशांति को दूर करता है। (Photo Source: Pexels) -
सेवा का प्रतीक कर्म
काले कुत्ते को भोजन कराना काल भैरव जी की प्रिय सेवा मानी जाती है। यह कर्म न केवल पुण्य देता है बल्कि जीवन में सुरक्षा, न्याय और कर्म शुद्धि भी लाता है। (Photo Source: Pexels) -
सुरक्षा के उपाय
पूजा के समय काले तिल या काले धागे की छोटी पोटली बनाकर दीपक के पास रखें। इसे बाद में अपने पास रखें — यह सुरक्षा कवच का कार्य करती है। (Photo Source: Pexels) -
आचरण में रखें सावधानियां
करें: ईमानदार और शांत रहें, घर का वातावरण पवित्र रखें, ध्यान या मौन साधना करें, और अपने जीवन के संकल्प लिखें।
न करें: मांसाहार या शराब का सेवन, झगड़ा, कटु वाणी या गपशप, नकारात्मक विचार या दूसरों की आलोचना, इनसे इस रात की ऊर्जा क्षीण होती है। (Photo Source: Pexels) -
इस रात की शक्ति क्यों मानी जाती है विशेष
काल भैरव वह शक्ति हैं जो समय, कर्म और भाग्य के रक्षक हैं। इस रात की साधना से— छिपे हुए अवरोध दूर होते हैं, भय और चिंता मिटती है, घर-परिवार पर सुरक्षा का कवच बनता है, और रुके हुए कार्य गति पकड़ते हैं। (Photo Source: Pexels)
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