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भारतीय रेलवे भी अब आधुनिक कोच की ट्रेनों को चलाने पर जोर रहा है। हमारे देश में पहली ऐसी ट्रेन आई है जो बिना इंजन के ट्रैक पर दौड़ेगी। इस तरह की इंजनलेस ट्रेन रेलवे की ओर से चेन्नै की इंटेग्रल कोच फैक्टरी में बनाई गई है। ट्रेन का नाम ट्रेन-18 दिया गया है। दिखने में यह ट्रेन बुलेट की रूपरेखा से मिलती-जुलती है। ऐसे में बुलेट ट्रेन का सपना देख रहे लोगों के लिए रेलवे की यह सौगात है। रेलवे मंत्रालय ने देशवासियों को बिना इंजन यानी सेल्फ प्रोपेल्ड तकनीक के जरिए पटरियों पर दौड़ने वाली ट्रेन का निर्माण करवाया है। बता दें कि यह देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन होगी, जो अब तक सबसे तेज स्पीड से चलने वाली शताब्दी और राजधानी की स्पीड को मात देगी। इस ट्रेन के बारे में जानकारी रेल मंत्री पीयूष गोयल काफी पहले अपने सोशल अकाउंट पर दे चुके थे। यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है, जो कि सभी तरह का आधुनिक सुविधाओं से लैस है। आइए जानते हैं देश की सबसे तेज भागने वाली हाइटेक ट्रेन की और क्या-क्या हैं खासियत। (All Pics- financial express)
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ट्रेन-18 को जल्द ही रेलवे ट्रैक पर दौड़ाया जाएगा। रेलवे जल्द ही इस ट्रेन का ट्रायल करने की तैयारी कर रही है और ट्रायल कामयाब होने के बाद ही इसे आम यात्री सफर कर सकेंगे। गौरतलब है की मोदी सरकार ने सबसे पहले 2014 के रेल बजट में देश के 9 रूटों पर सेमी हाईस्पीड ट्रेने चलाने का ऐलान किया था। इनमें दिल्ली-आगरा, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-कानपुर, नागपुर-बिलासपुर, मैसूर-बंगलूर-चेन्नई, मुंबई-गोवा, मुंबई-अहमदाबाद, चेन्नई-हैदराबाद तथा नागपुर-सिकंदराबाद रूट शामिल थे। फिलहाल एक ट्रेन ट्रैक पर दौड़ने को तैयार हो चुकी है।
बता दें कि ट्रेन- 18 के पुलों व सुरंगों के डिजाइन का कार्य पूरा हो चुका है। इस ट्रेन का प्रॉजेक्ट जापान की शिंकानसेन टेक्नॉलजी पर ही आधारित है और इसी तकनीक से बनने वाली यह पहली ट्रेन है। इस ट्रेन में 16 चेयरकार कोच, 14 नॉन एग्जीक्यूटिव कोच और 2 एग्जीक्यूटिव कोच हैं। इस ट्रेन की लागत 100 करोड़ रुपए है। इस आलीशान ट्रेन 18 के एक डिब्बे के निर्माण में 6 करोड़ रुपए लगे हैं। बताया जा रहा है कि ट्रेन के डिब्बों का निर्माण में यूरोपियन डिब्बों की तुलना में 40 पर्सेंट कम खर्च आया है। मेक इन इंडिया के तहत इस ट्रेन का निर्माण चेन्नई में भारतीय रेलवे के मालिकाना हक वाली इंटेग्रल कोच फैक्ट्री में हुआ है। वहां पर इस तरह की और भी ट्रेनें बनाई जाएंगी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन होगी, जिसकी मैन्युफैक्चरिंग भारत में हुई है। यह देश की पहली ट्रेन होगी जो कि मेट्रो की तरह इलेक्ट्रिक ट्रैक पर दौड़ेगी। तेज रफ्तार वाली ट्रेन के सफर से यात्रियों के समय की बचत तो होगी ही, साथ ही उन्हें इसके अंदर फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। -
सेमी हाई स्पीड ट्रेन दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर राजधानी और शताब्दी ट्रेनों की जहग लेगी। इस ट्रेन में वाईफाई, एलईडी लाइट, पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम जैसी कई तरह की हाईटेक सुविधाएं हैं।
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मौजूदा राजधानी और शताब्दी 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं, लेकिन उनकी एवरेज स्पीड 90 किलोमीटर प्रति घंटे तक जाती है। जब दोनों हाई स्पीड ट्रेनें दौड़ेंगी तो ये 130 किलोमीटर प्रति घंटे की एवरेज दे पाएंगी। जबकि ट्रेन 18 की अधिकतम गति सीमा 160 किलोमीटर प्रति घंटा है।
कुछ रूटों पर यह प्रीमियम शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों को रिप्लेस करेगी। 15 कोच वाली इस ट्रेन में बैठने के लिए चेयर कार और सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। -
ट्रेन 18 के इंटीरियर को खास तौर से डिजाइन किया गया है। इस ट्रेन में यात्रियों को हर तरह की सुविधा मिलेगी। यह ट्रेन फुली एयरकंडीशनर है।
कुल मिलाकर यह ट्रेन पूरी तरह से बुलेट ट्रेनों की तरह अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरेगी। भारत में निर्मित इस ट्रेन में बेहतरीन फीचर्स शामिल किए गए हैं। -
ट्रेन 18 के दरवाजे मेट्रो की तरह यात्रियों के आवागमन पर ऑटोमैटिक खुलेंगे और बंद होंगे।
जैसे ही आप ट्रेन के अंदर प्रवेश करेंगे तो भी कोच के अंदर के दरवाजे आपके कदमों की आहट सुनते ही अपने आप खुलेंगे और बंद होंगे। -
विभिन्न सुविधाओं से लैस इस ट्रेन में बॉयो-वैक्यूम टॉयलेट लगाए गए हैं, जिसमें केवल एक लीटर पानी की जरूरत होगी।
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दिव्यांग यात्रियों के लिए भी ट्रेन में खास ध्यान रखा गया है। इसमें उनके लिए व्हीलचेयर की सुविधा होगी, ताकि वे खुद से टॉयलेट जा सकें।
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ट्रेन में साफ-सफाई का खास ध्यान रखा गया है।
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ट्रेन के अंदर मॉड्यूलर टॉयलेट हैं।
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मेक इन इंडिया के तहत तैयार होने वाली दो ट्रेनें 18 और 20 ट्रैक पर जल्द दौड़ती दिखेंगी। वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी से लैस ट्रेनों में वाई-फाई से लेकर स्लाइडिंग डोर की सुविधा रहेगी। इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि ये सफर में लगने वाले समय में 20 फीसदी की कटौती करेगी। यानी यात्रियों के आवागमन में काफी कम समय लगेगा।
ट्रेन में खान-पान की व्यवस्था को देखते हुए इसमें प्लेट और लंच बॉक्स रखने और खास तरह के बॉटल होल्डर लगाए गए हैं।
