-
भारतीय नौसेना ने सी हैरियर लड़ाकू विमानों को सेवा से बाहर करने का फैसला किया है। गोवा के दबोलिम में इस संबंध में कार्यक्रम हुआ। सी हेरियर विमान इंडियन नेवल एयर स्क्वाड्रन 300 के हिस्सा थे। इसे व्हाइट टाइगर्स भी कहा जाता है। 33 साल पहले इन विमानों को सेना में शामिल किया गया था। इनकी जगह मिग-29K को शामिल किया जाएगा। आगे जानिए इन विमानों की खास बातें जो इन्हें विशेष बनाते हैं: (Photo: Express Archive)
-
नेवी को इन विमानों की देखरेख में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। ब्रिटिश कंपनी रॉल्स रॉयस ने सी हैरियर के पुर्जे बनाना बंद कर दिए था। इन विमानों में रॉल्स रॉयस पेगासुस टर्बोफैन इंजन लगा है। ये विमान वर्टिकली यानि बिना दौड़ लगाए सीधे टेक ऑफ करने में भी सक्षम हैं। (Photo: Express Archive)
-
सी हैरियर विमानों में एंटी शिप सी मिसाइल, डर्बी एयर टू एयर और माट्रा मैजिक 2 मिसाइलें लगी हैं। ये विमान रॉकेट लॉन्च करने और बम गिराने में भी सक्षम हैं। 1982 में फॉकलैंड और बाल्कन युद्धों से ये विमान विख्यात हुए थे। (Photo: Express Archive)
-
सी हैरियर विमान 1186 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने में सक्षम हैं। साथ ही इनके जरिए हवा में ईंधन भी भरा जा सकता है। इन विमानों का जीरो से 296 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार पर लैंड या टेक ऑफ कराया जा सकता है। बाकी विमान जहां पहले लैंड होते हैं और बाद में बंद होते हैं। ये विमान पहले बंद होने और फिर लैंड करने की काबिलियत रखते हैं। (Photo: Express Archive)
भारत ने कुल 30 सी हेरियर विमान खरीदे थे। इनमें से 15 दुर्घटनाग्रस्त हो गए, इन हादसों में 8 पायलटों की जान भी गई। सी हेरियर स्क्वाड्रन को 1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान तैनात किया गया था। 2001 में ऑपरेशन पराक्रम के बाद इन्हें आईएनएस विराट पर रखा गया। (Photo: Express Archive) -
नेवी के पास छह कार्यरत सी हैरियर और पांच एयरफ्रेम थे। इनळें ब्रिटिश कंपनी एयरोस्पेस ने बनाया था। ये विमान ब्रिटेन की रॉयल नेवी में भी शामिल थे। रॉयल नेवी ने 10 साल पहले 2006 में इन्हें सेवामुक्त कर दिया था। रॉयल नेवी में ये विमान 30 साल तक रहे थे। (Photo: Express Archive)