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धरती पर लाखों तरह के जीव-जंतु पाए जाते हैं, जिनका जन्म और मृत्यु होना एक नेचुरल प्रक्रिया है। लेकिन समुद्र की गहराइयों में एक ऐसा जीव मौजूद है, जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर रखा है। यह जीव है अमर जेलीफिश (Turritopsis dohrnii), जिसे दुनिया की एकमात्र ‘अमर प्रजाति’ कहा जाता है। (Photo Source: Pexels)
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अमर जेलीफिश क्या है?
अमर जेलीफिश एक बेहद छोटी और पारदर्शी जेलीफिश है, जो ट्रॉपिकल एरिया और ठंडे समुद्रों में पाई जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अपनी उम्र को उलट सकती है। यानी जब यह बूढ़ी होने लगती है या खतरे में होती है, तो यह फिर से अपने युवा अवस्था में लौट आती है। (Photo Source: Pexels) -
उम्र उलटने का अनोखा तरीका
जेलीफिश का जीवन चक्र सामान्यतः लार्वा → पॉलिप → मेदूसा (जेलीफिश का वयस्क रूप) तक होता है। लेकिन जब अमर जेलीफिश मौत के करीब पहुंचती है या कमजोर हो जाती है, तो यह एक खास प्रक्रिया से गुजरती है जिसे ट्रांसडिफ्रेंशिएशन (Transdifferentiation) कहा जाता है। (Photo Source: Pexels) -
इस प्रक्रिया में इसकी कोशिकाएं (cells) अपना रूप बदल लेती हैं और जेलीफिश फिर से पॉलिप अवस्था में लौट जाती है। इसके बाद यह एक बार फिर से युवा जेलीफिश के रूप में जन्म ले लेती है। यानी मानो किसी बूढ़े इंसान का शरीर अचानक से बदलकर युवा हो जाए। यह चक्र बार-बार दोहराया जा सकता है। (Photo Source: Pexels)
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जेलीफिश का जीवन चक्र
लार्वा (Larva) – सबसे पहले यह सूक्ष्म लार्वा के रूप में जन्म लेती है।
पॉलिप (Polyp) – लार्वा किसी चट्टान या सतह से चिपककर पॉलिप बन जाता है और कॉलोनी का रूप ले लेता है।
मेडूसा (Medusa) – यही पॉलिप आगे चलकर असली जेलीफिश यानी मेडूसा में बदल जाता है, जिसे हम पहचानते हैं। (Photo Source: thebiologist.rsb.org.uk) -
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
स्पेन के शोधकर्ताओं ने Turritopsis dohrnii की जीनोम सीक्वेंसिंग करके पाया है कि इसके डीएनए में खास तरह के जीन मौजूद हैं, जो इसकी कोशिकाओं की मरम्मत करने और उन्हें बार-बार नया बनाने की क्षमता देते हैं। यही वजह है कि इसे बायोलॉजिकल तौर पर पर अमर कहा जाता है। (Photo Source: Pexels) -
क्या यह सच में अमर है?
हालांकि इस जेलीफिश को अमर कहा जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से अमर नहीं है। क्यों? क्योंकि यह शिकार, बीमारियों या समुद्र में होने वाले प्राकृतिक खतरों से मर सकती है। यानी यह अपनी उम्र को उलट सकती है, लेकिन बाहरी कारणों से इसकी मृत्यु संभव है। (Photo Source: Pexels) -
इंसानों पर इसका असर?
वैज्ञानिकों का मानना है कि भले ही फिलहाल इस प्रक्रिया का इंसानों पर सीधा इस्तेमाल संभव नहीं है, लेकिन अगर इस जेलीफिश के रहस्य को पूरी तरह समझ लिया जाए, तो भविष्य में जेनेटिक रिसर्च के जरिए उम्र बढ़ाने और बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने में इससे नई उम्मीदें जरूर पैदा हो सकती हैं। (Photo Source: Pexels)
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