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उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का उत्सव शुरू हो चुका है। जगन्नाथ धाम में अगर एक दिन भी यह काम न हो तो मंदिर 18 साल के लिए अपने आप मंदिर हो जाएगा। (ANI)
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जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हर दिन बदला जाता है। हर सुबह सूर्योदय से पहले और शाम को सूर्यास्त के समय मंदिर पर लगे झंडे को बदलकर नया झंडा लगा दिया जाता है। (ANI)
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मंदिर की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंदिर के गुंबद पर लगे ध्वज को बदलने का काम मंदिर के सेवादार करते हैं। यह ध्वजा हमेशा समुद्र से बहने वाली हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। (ANI)
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जगन्नाथ पुरी में लगाने वाला 20 फीट का त्रिकोणीय ध्वज अगर एक दिन भी नहीं बदला गया तो मंदिर अपने आप 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। (ANI)
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जगन्नाथ धाम के ध्वज बदलने की जिम्मेदारी चोला परिवार की होती है और वो इस परंपरा को 800 सालों से निभाते आ रहे हैं। (ANI)
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सेवादार ध्वजा को लेकर मंदिर की गुंबद पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है। इससे पहले वह नीचे अग्नि प्रज्वलित करता है। फिर धीरे-धीरे वह मंदिर के आखिरी गुंबद तक पहुंच जाता है। (ANI)
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चाहे आंधी-तूफान या फिर बारिश ही क्यों न हो लेकिन मंदिर के गुंबद पर ध्वज बदलने का यह धार्मिक रीति-रिवाज रोज शाम को संचालित होता है। (ANI)