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आज की दुनिया में ‘ट्रेंड’ और ‘ब्रांड’ सब कुछ हैं। जो चीजें कभी हमारे घर-घर में आम थीं, जिन्हें हमारी दादी-नानी अपने रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा मानती थीं — वही अब ग्लोबल स्टाइल, लग्जरी और वेलनेस का प्रतीक बन चुकी हैं। फर्क बस इतना है कि अब वही चीजें हमें नए नाम, चमकदार पैकेजिंग और कई गुना ज्यादा कीमत में बेची जा रही हैं। (Photo Source: Pexels)
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आइए जानते हैं कुछ ऐसे उदाहरण, जब दुनिया ने हमारी पारंपरिक चीजों को नए रूप में हमें ही वापस बेचा — और हम भी ट्रेंड में रहने के लिए इन्हें खरीदने लगे। (Photo Source: Pexels)
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₹500 का ‘Golden Latte’ Vs ₹20 का ‘हल्दी दूध’
जिस हल्दी वाले दूध को हम बचपन में सर्दी-जुकाम में दादी के कहने पर नाक सिकोड़कर पीते थे, वही अब ‘Golden Latte’ बनकर इंटरनेशनल कैफे में ₹500 में बिक रहा है। पहले इसे घरेलू नुस्खा कहा जाता था, अब यह ‘Anti-inflammatory Detox Drink’ कहलाता है! (Photo Source: Pexels) -
₹200 का ‘Chai Latte’ Vs ₹10 की ‘चाय’
रेलवे स्टेशन या नुक्कड़ की चाय की चुस्की कभी इंडियन कल्चर का हिस्सा थी। अब वही चाय थोड़ी फोम और फैंसी कप में मिलकर ‘Chai Latte’ बन गई है — और उसकी कीमत बढ़ गई 20 गुना! (Photo Source: Pexels) -
₹3000 का ‘Minimalist Decor’ Vs ₹150 के ‘मिट्टी के दीये’ और ‘पीतल की सजावट’
हमारे घरों में सादगी और प्राकृतिक सजावट हमेशा से रही है — मिट्टी के दीये, पीतल की लोटियां, लकड़ी की नक्काशी। अब इन्हें ‘Minimalist Decor’ या ‘Earthy Interior Trend’ कहकर वेस्टर्न ब्रांड्स 20 गुना दाम में बेच रहे हैं। (Photo Source: Pexels) -
₹1000 का ‘Eco-Leafware’ Vs ₹2 की ‘पत्तल’
जहां हम शादी-ब्याह या भंडारे में पत्तल पर खाना खाना गर्व की बात समझते थे, वहीं अब यही चीज ‘Eco-Friendly Tableware’ के नाम से विदेशी बाजारों में हाई-क्लास डाइनिंग ट्रेंड बन चुकी है। (Photo Source: Unsplash) -
₹4000 के ‘Designer Sandals’ Vs ₹400 की ‘कोल्हापुरी चप्पल’
कोल्हापुरी चप्पलें जो कभी भारतीय हस्तकला और देहाती फैशन की पहचान थीं, अब ‘Handcrafted Designer Footwear’ के नाम से बुटीक स्टोर्स में हजारों में बेची जा रही हैं। (Photo Source: Unsplash) -
₹5000 का ‘Handcrafted Rug’ Vs ₹500 का ‘जयपुर की दरी’
जयपुर और उत्तर भारत की पारंपरिक दरियां, जिन्हें लोग रोजमर्रा में बिछाते थे, अब ‘Luxury Handwoven Rugs’ के नाम से यूरोप-अमेरिका के होम डेकोर ब्रांड्स में मिल रही हैं। (Photo Source: Pexels) -
भारतीय परंपराएं — नई पैकिंग में ‘ग्लोबल ट्रेंड’
दुनिया धीरे-धीरे उस रास्ते पर चल रही है, जिस पर भारत सदियों पहले चल चुका है। आज ‘ऑरगेनिक’, ‘सस्टेनेबल’ और ‘हैंडक्राफ्टेड’ शब्दों का जो क्रेज है, वो असल में हमारी ही जीवनशैली का हिस्सा रहा है। फर्क बस इतना है कि हमने उसे साधारण माना, और दुनिया ने उसे ‘प्रीमियम’ बना दिया। (Photo Source: Pexels) -
तो सवाल यह है क्या हमने अपनी परंपराओं को ट्रेंड बनने से पहले ही नजरअंदाज कर दिया? या फिर यह दुनिया की तारीफ है कि उसने हमारी चीजों को ग्लोबल बना दिया? जो भी हो, सच्चाई यह है कि भारत की सादगी, परंपरा और ज्ञान अब पूरी दुनिया की ‘Luxury’ बन चुके हैं। और शायद समय आ गया है कि हम भी अपनी जड़ों को फिर से पहचानें — क्योंकि जो हमारे घर में है, वही अब दुनिया को आकर्षित कर रहा है। (Photo Source: Pexels)
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