-
सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई और देशों में भी इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है। खासकर सऊदी अरब में तापमान लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। यहां पर मक्का मदीने में हज के लिए गए कई यात्रियों की हीटवेव के चलते मौत हो गई है। (Indian Express)
-
सऊदी के मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 17 जून को मक्का की ग्रैंड मस्जिद के पास तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। सऊदी अरब में भीषण गर्मी के चलते 600 से ज्यादा हज यात्रियों की मौत हो चुकी है जिसमें 68 भारतीय नागरिक शामिल हैं।
-
ऐसे में आइए जानते हैं इंसान ज्यादा से ज्यादा कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है और कितने तापमान के बाद मौत के चांसेस बढ़ जाते हैं।
-
वैज्ञानिकों का कहना है कि, इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है जो आसपास के वातावरण यानी बाहरी तापमान के 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है।
-
साइंस की मानें तो, इंसान ज्यादा से ज्यादा तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस में आसानी से रह लेता है। साइंस के अनुसार, इंसान गर्म रक्त वाला स्तनधारी जीव है। इसके साथ ही वह खास तंत्र जिसे ‘हाइपोथैलेमस’ कहते हैं उससे संरक्षित रहता है। इसी के जरिए इंसानी दिमाग हाइपोथैलेमस से शरीर के तापमान को जिंदा रहने की सीमा में बनाए रखने के लिए ऑटो-कंट्रोल होता है।
-
साइंस के मुताबिक, इंसानी शरीर बिना किसी परेशानी के 35 से 37 डिग्री तक का तापमान सह सकता है। लेकिन 40 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर परेशानी होने लगती है।
-
कई अध्ययनों में ये बताया गया है कि, 50 डिग्री का अधिकतम तापमान सहन करना मुश्किल होता है। इससे ज्यादा तापमान का बढ़ना मौत का कारण बन सकता है। वहीं, जहां मौसम एक समान नहीं रहता वहां 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान इंसानों के लिए खतरनाक बताया गया है।
-
इस धरती पर अलग-अलग तरह के वातावरण हैं जिसके आधार पर शरीर में तापमान को बर्दाश्त करने की क्षमता होती है। 45 डिग्री तापमान होने पर बेहोशी, चक्कर, घबराहट या फिर ब्लड प्रेशर कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके साथ ही 48 से 50 डिग्री या उससे ज्यादा तापमान में ज्यादा देर तक नहीं रहने की सलाह दी जाती है।