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एक समय था जब हरियाणा के एक युवक ने इंजीनियर बनने का सपना लेकर पढ़ाई किया। लेकिन जल्द ही उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया और उन्होंने अध्यात्म को अपना लिया और लोगों के लिए वो ‘संत रामपाल’ बन गए। संत रामपाल के भारत में लाखों अनुयायी हैं। आइए जानते हैं विस्तार से उनके बारे में: (Photo Source: Express Archive)
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हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाणा गांव में 1951 में जन्मे रामपाल सिंह जाटिन, एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने नीलोखेड़ी के इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा किया और हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में नौकरी शुरू की। (Photo Source: Express Archive)
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सरकारी नौकरी करते हुए रामपाल का रुझान आध्यात्म की ओर बढ़ा। जल्द ही वह एक ‘संत’ के रूप में उभरे। मई 1995 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और ‘कबीरपंथ’ से जुड़कर प्रवचन देने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे उनकी अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई। (Photo Source: Express Archive)
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साल 2000 में रोहतक जिले के करोंथा गांव में उन्होंने सतलोक आश्रम की स्थापना की और इसके बाद हरियाणा के कई जिलों- खासकर झज्जर और रोहतक में बड़ी संख्या में अनुयायी उनसे जुड़ गए। हालांकि, उन्होंने 1994 से ही लोगों को दीक्षा देनी शुरू कर दी थी। (Photo Source: Express Archive)
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संत रामपाल के सामाजिक कार्य
jagatgururampalji.org पर दी गई जानकारी के अनुसार, संत रामपाल के अनुयायी उन्हें ‘जगतगुरु तत्वदर्शी संत’ मानते हैं। उनके सामाजिक कार्य बेहद सराहनीय हैं। संत रामपाल का मुख्य उद्देश्य समाज से दहेज प्रथा, नशाखोरी, अंधविश्वास और जातिवाद जैसी कुरीतियों को खत्म करना है और इसी देश में कार्य कर रहे हैं। यहां तक कि उनके आश्रमों में रक्तदान, भोजन वितरण और नशा मुक्ति जैसे अभियान भी चलते हैं। (Photo Source: Express Archive) -
संत रामपाल पहली बार विवादों में साल 2006 में तब आए जब उन्होंने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद के खिलाफ एक बयान दिया था। इसके बाद वो आर्य समाज के समर्थकों के निशाने आ गए। हालांकि, उनका उद्देश्य लोगों की भावनाओं को आहत करने का बिल्कुल भी नहीं था। (Photo Source: Express Archive)
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इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और सतलोक आश्रम के बाहर झड़प में एक महिला की मौत हो गई थी। इसके बाद संत रामपाल को हत्या के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और वो करीब 21 महीने तक जेल में रहे। अप्रैल 2008 में वो जमानत पर रिहा हो गए, लेकिन अदालत में पेश नहीं होने की वजह से उनकी कानूनी समस्याएं बढ़ती गईं। (Photo Source: Express Archive)
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2014 की हिसार हिंसा और गिरफ्तारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2014 में पुलिस संत रामपाल को गिरफ्तार करने के लिए हिसार स्थित बरवाला आश्रम पहुंची। लेकिन उनके अनुयायी गिरफ्तारी के खिलाफ थे। इसके बाद पुलिस और अनुयायियों के बीच दो हफ्ते तक झड़प चली। इस झड़प में कई लोगों की मौत हो गई थी। (Photo Source: Express Archive) -
कोर्ट में सुनवाई और फैसले
यह घटना देशभर की सुर्खियों में रही और 19 नवंबर 2014 को संत रामपाल को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, साल 2017 में उन्हें दो मामलों- सरकारी काम में बाधा डालने और लोगों को अवैध रूप से बंदी बनाने में बरी कर दिया गया। इसके बाद दिसंबर 2022 को उन्हें 2006 के गोलीबारी मामले में बरी कर दिया गया। फिलहाल, 73 वर्ष के हो चुके संत रामपाल दास बरवाला आश्रम में हुई हिंसा के मामले में हिसार जेल में बंद हैं। (Photo Source: Express Archive) -
सामाजिक सेवा और अनुयायियों की भूमिका
विवादों से इतर, संत रामपाल के अनुयायी सामाजिक सेवा के कार्यों में भी सक्रिय हैं। उनके अनुयायी रक्तदान शिविर, भोजन वितरण अभियान और नशा मुक्ति जैसे अभियानों में शामिल होते हैं। सतलोक आश्रम में हर जाति, धर्म और वर्ग के लोगों के लिए नि:शुल्क भोजन और आवास की व्यवस्था होती है। (Photo Source: Express Archive)