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उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित नीति गांव और इसके पास द्रोणागिरी पर्वत, रामायण काल की एक अद्भुत और रहस्यमयी कहानी से जुड़ा हुआ है। यह पर्वत और गांव अपनी अनोखी परंपराओं और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। खास बात यह है कि इस गांव में हनुमान जी का नाम लेना भी वर्जित है। (Photo Source: Pinterest)
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द्रोणागिरी पर्वत और रामायण की कथा
रामायण के अनुसार, त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के लिए वानर सेना का नेतृत्व किया। युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी पर रावण के पुत्र मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिससे लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए। युद्ध में उनकी जान बचाने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लानी पड़ी। (Photo Source: Pexels) -
लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरी पर्वत पर जाना पड़ा। लेकिन वहां इतनी सारी जड़ी-बूटियों के बीच उन्हें संजीवनी बूटी पहचान में नहीं आई। (Photo Source: Pexels)
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इसलिए हनुमान जी ने पर्वत का एक बड़ा हिस्सा ही उखाड़ लिया और उसे लंका तक ले गए। इस अद्भुत शक्ति और समर्पण के कारण लक्ष्मण जी पुनर्जीवित हो गए और युद्ध में वापस शामिल हो सके। (Photo Source: Pexels)
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गांववासियों की नाराजगी
लेकिन द्रोणागिरी पर्वत के पास रहने वाले लोगों की मान्यता इसके विपरीत रही। वे इस पर्वत को अपना देवता मानते हैं। हनुमान जी ने बिना अनुमति पर्वत का हिस्सा उठाया, जिससे गांव के देवता नाराज हो गए। (Photo Source: Freepik) -
इसी घटना के बाद से गांववासियों ने हनुमान जी के प्रति नाराजगी बना ली। आज भी यहां के लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते और उनका नाम लेना वर्जित है। (Photo Source: Freepik)
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प्राकृतिक सुंदरता और ट्रैकिंग
द्रोणागिरी पर्वत की ऊंचाई 7,066 मीटर है और यह पर्वत श्रृंखला बेहद खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण है। शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण गांव लगभग खाली हो जाता है, लेकिन गर्मियों में लोग वापस लौटते हैं। (Photo Source: सारांश/Facebook) -
ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकीन दूर-दूर से यहां आते हैं। जुम्मा नामक स्थान से लगभग दस किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग द्रोणागिरी तक जाता है। यह मार्ग कठिन और संकरा है, लेकिन प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण पर्यटकों और श्रद्धालुओं को बहुत आकर्षित करता है। (Photo Source: Unsplash)
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पर्वतीय पूजा और परंपरा
हर साल जून में गांववासियों द्वारा द्रोणागिरी पर्वत की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस पूजा में न केवल गांव के लोग बल्कि अन्य राज्यों में बसे लोग भी शामिल होते हैं। पूजा का उद्देश्य पर्वत और उसके देवता के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। (Photo Source: Pexels)
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