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गर्मियों के दिनों में घास कटने की महक को हम अक्सर ताजगी और ठंडक का संकेत मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह खुशबू वास्तव में घास का ‘डिस्ट्रेस सिग्नल’ यानी मदद की पुकार होती है? (Photo Source: Pexels)
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वैज्ञानिकों के अनुसार, घास या अन्य पौधे जब घायल होते हैं, तो वे एक खास तरह की रासायनिक गंध छोड़ते हैं, ताकि आसपास के जीव-जंतु या पौधे सचेत हो सकें। यही सवाल उठता है—क्या पौधे भी दर्द या डर महसूस करते हैं? (Photo Source: Pexels)
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क्या पौधों में नर्वस सिस्टम होता है?
दर्द महसूस करने के लिए जानवरों और इंसानों में नर्वस सिस्टम, न्यूरॉन्स और दिमाग होता है। लेकिन पौधों में ऐसा कुछ नहीं होता। लेकिन फिर भी उनके पास बेहद कॉम्प्लेक्स सिग्नलिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम होती है। पौधे रोशनी, तापमान, गुरुत्वाकर्षण और स्पर्श को महसूस कर सकते हैं। वे अपनी जड़ों और तनों की दिशा बदलते हैं। कीटों या खतरे से बचने के लिए विशेष रसायन भी बनाते हैं। (Photo Source: Pexels) -
पौधों की केमिकल डिफेंस
जब घास काटी जाती है या कोई कीड़ा पत्ता खाता है, तो पौधे भाग नहीं सकते। ऐसे में वे रासायनिक संकेत छोड़ते हैं। यह संकेत पास के पौधों को खतरे की जानकारी देते हैं। कई बार पौधे ऐसे रसायन छोड़ते हैं जो कीड़ों को भगाते हैं या अन्य कीटों को बुलाते हैं जो उनके दुश्मनों पर हमला करें। उदाहरण के लिए, कॉफी पौधा कैफीन का उपयोग न केवल अपनी रक्षा में करता है, बल्कि मधुमक्खियों को भी आकर्षित करता है। (Photo Source: Pexels) -
पौधों का आपसी संवाद
जंगल में बड़े पेड़ अपने आस-पास के छोटे पौधों की कलियों को पोषण भेजते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि पेड़ अपनी जड़ों और फंगल नेटवर्क के जरिए एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और आपस में पोषण बांटते हैं। इसे अक्सर “Wood Wide Web” कहा जाता है। (Photo Source: Pexels) -
पौधों की ‘आवाज’
जर्मनी और इजराइल के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि पौधे चोट लगने पर या पानी की कमी होने पर अल्ट्रासोनिक आवाजें निकालते हैं। इंसानी कान इन आवाजों को नहीं सुन सकते, लेकिन मशीनें रिकॉर्ड कर सकती हैं। खीरे के पौधों के बारे में कहा गया कि वे बीमार होने पर ‘चिल्लाते’ हैं। टमाटर और तंबाकू के पौधों ने प्यास लगने या काटे जाने पर अलग-अलग ध्वनियां छोड़ीं। (Photo Source: Pexels) -
पौधे ‘सुन’ भी सकते हैं
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पाया कि जब कैटरपिलर पौधे की पत्तियां खाते हैं, तो पौधे उस चबाने की आवाज पहचान लेते हैं और तुरंत अपने रक्षात्मक रसायन बनाने लगते हैं। यानी पौधे केवल प्रतिक्रिया ही नहीं करते, बल्कि आसपास की आवाजों से भी सजग रहते हैं। (Photo Source: Pexels) -
कॉन्शियसनेस और सेंसिटिविटी पर बहस
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि पौधों की ये प्रतिक्रियाएं उनकी सेंसिटिविटी को दिखाती हैं। जैसे मिमोसा (लाजवंती) छूते ही अपनी पत्तियां बंद कर लेती है। वीनस फ्लाईट्रैप सेकंडों में अपना जाल बंद कर लेता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पौधों को एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) देने पर उनकी प्रतिक्रियाएं भी थम जाती हैं, जैसे इंसानों और जानवरों में होता है। (Photo Source: Pexels) -
तो क्या पौधे दर्द महसूस करते हैं?
इस पर अभी भी बहस जारी है। अधिकतर वैज्ञानिक मानते हैं कि पौधों में दर्द रिसेप्टर या नर्वस सिस्टम नहीं होता, इसलिए वे मनुष्यों या जानवरों की तरह दर्द नहीं महसूस करते। लेकिन यह भी सच है कि पौधे अपने आसपास की गतिविधियों को बेहद कॉम्प्लेक्स तरीकों से महसूस और व्यक्त करते हैं। (Photo Source: Pexels)
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