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हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस पवित्र दिन को भगवान विष्णु के शयन से जागने का पर्व माना जाता है। यही वह अवसर भी है जब भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप में मां तुलसी से विवाह करते हैं, जिसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है। (Photo Source Pexels)
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इस साल तुलसी विवाह 12 नवंबर को मनाया जाएगा, और इसे शुभ व मंगलकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर किए गए खास उपाय से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता को दूर करता है और आर्थिक समृद्धि लाता है। (Photo Source Pexels)
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सनातन धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी की पूजा, आरती करने के बाद उसकी जड़ को घर के मुख्य दरवाजे पर बांधने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर से दरिद्रता का नाश होता है और मां लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। (Photo Source Pexels)
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शास्त्रों के अनुसार, मां लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, जो किसी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहतीं। लेकिन तुलसी की यह जड़ मां लक्ष्मी को आकर्षित करती है और घर में उनकी कृपा बनी रहती है। (Photo Source Pexels)
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देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी की जड़ को मुख्य दरवाजे पर बांधने के लिए कुछ सिंपल स्टेप्स को फॉलो करें। सबसे पहले एक लाल कपड़ा लें। कपड़े में तुलसी की एक सूखी जड़ और थोड़ा अक्षत (चावल) रखें। इस कपड़े को अच्छे से बांधकर घर के मुख्य दरवाजे पर टांग दें। (Photo Source Pexels)
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का केंद्र होता है। तुलसी की जड़ को मुख्य दरवाजे पर बांधने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सभी प्रकार के वास्तु दोष समाप्त होते हैं। (Photo Source Pexels)
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तुलसी की जड़ को घर के मुख्य दरवाजे पर बांधने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं, कर्ज से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। (Photo Source Pexels)
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