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वैलेंटाइन वीक के तीसरे दिन यानी 9 फरवरी को चॉकलेट डे मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर अपने प्रियजनों को चॉकलेट देने का दिन माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां भगवान को चॉकलेट का भोग चढ़ाया जाता है? (Photo Source: Pexels)
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यह परंपरा न केवल अद्भुत है, बल्कि एक अनोखी श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भी है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में और जानें कि किस तरह से भगवान मुरुगन को चॉकलेट अर्पित की जाती है। (Photo Source: Pexels)
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थेक्कन पलानी बालसुब्रमण्यम मंदिर: अलेप्पी का अनोखा मंदिर
केरल राज्य के अलेप्पी (Alleppey) शहर में स्थित थेक्कन पलानी बालसुब्रमण्यम मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जहां भक्त भगवान मुरुगन को चॉकलेट का भोग अर्पित करते हैं। (Photo Source: templefolks.com) -
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान मुरुगन के बालरूप की पूजा होती है, जिन्हें ‘मंच मुरगन’ के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान मुरुगन को सुब्रमण्यम और कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं। (Photo Source: templefolks.com)
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चॉकलेट का भोग: परंपरा और विश्वास
पारंपरिक रूप से भारतीय मंदिरों में भगवान को फल, फूल, मिठाई और चंदन अर्पित किया जाता है, लेकिन इस मंदिर में भक्त चॉकलेट का भोग अर्पित करते हैं। (Photo Source: chamundaswamiji.com) -
शुरुआत में केवल बच्चे ही चॉकलेट चढ़ाते थे, लेकिन अब हर आयु वर्ग के लोग इस परंपरा में भाग लेते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह विश्वास है कि भगवान मुरुगन के बालरूप को चॉकलेट बेहद प्रिय है, इसीलिए यह परंपरा शुरू हुई। (Photo Source: chamundaswamiji.com)
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हर साल श्रद्धालु डब्बे भर-भरकर चॉकलेट लाते हैं और उन्हें भगवान मुरुगन के चरणों में अर्पित करते हैं। पूजा के बाद, वही चॉकलेट प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित की जाती है। यह परंपरा श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुकी है। (Photo Source: templefolks.com)
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कैसे शुरू हुई चॉकलेट चढ़ाने की परंपरा?
चॉकलेट चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन एक दिलचस्प कहानी इस परंपरा के पीछे बताई जाती है। कहा जाता है कि एक बार एक छोटे लड़के ने मंदिर के गर्भगृह में चॉकलेट चढ़ाई थी, और फिर वह अचानक गायब हो गया। (Photo Source: Pexels) -
उसकी गायब होने की वजह कोई नहीं जान सका, लेकिन यह घटना जंगल में आग की तरह फैल गई और श्रद्धालुओं के बीच चॉकलेट चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। (Photo Source: Pexels)
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भक्तों का मानना है कि चॉकलेट चढ़ाने से उनकी मन्नत पूरी होती है। यह परंपरा अब इतना लोकप्रिय हो चुकी है कि यहां लोग अपने वजन के बराबर चॉकलेट चढ़ाने के लिए भी आते हैं। (Photo Source: chamundaswamiji.com)
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केरल के अन्य मंदिरों में चॉकलेट का भोग
केरल के अलाप्पुझा में स्थित केममोथ श्री सुब्रमण्य मंदिर में भी एक दशक पहले चॉकलेट चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई थी। यहां भी भगवान मुरुगन को चॉकलेट अर्पित की जाती है और बाद में वही चॉकलेट प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। मंदिर में प्रार्थना पूरी होने के बाद चॉकलेट चढ़ाना प्रमुख अनुष्ठान बन चुका है। (Photo Source: Pexels)
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