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पूजा-पाठ में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दीपक न केवल अंधकार को दूर करता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है। पूजा में आमतौर पर धातु के दीयों और मिट्टी के दीयों का उपयोग किया जाता है। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि क्या पुराने मिट्टी के दीये को दोबारा पूजा में इस्तेमाल किया जा सकता है? (Photo Source: Pexles)
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शास्त्रों के अनुसार दीये का महत्व
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ में इस्तेमाल किए गए किसी भी बर्तन या दीपक को पवित्र माना जाता है। लेकिन मिट्टी के दीयों के मामले में स्थिति थोड़ी अलग है। शास्त्रों के अनुसार, पूजा में इस्तेमाल हुए मिट्टी के दीये को दोबारा जलाना शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेते हैं। (Photo Source: Pexles) -
पुराने दीयों का सही निपटान
यदि आपके पास पुराना मिट्टी का दीया है, तो उसे कूड़े में फेंकना या अनदेखा करना उचित नहीं है। इसके लिए कुछ सही उपाय हैं:
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बहते जल में विसर्जित करना: आप पुराने दीयों को किसी स्वच्छ जल स्रोत में विसर्जित कर सकते हैं। (Photo Source: Pexles)
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पीपल के पेड़ तले दबाना: मिट्टी के दीयों को सुरक्षित रूप से जमीन में दबाना भी एक शुभ तरीका है। (Photo Source: Unsplash)
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रिसाइकल करना: दीये की मिट्टी को फिर से अन्य उपयोगों में लाना पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। (Photo Source: Pexles)
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नदी या जलाशयों में पुराने दीये विसर्जित करना पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए हमेशा मिट्टी में दबाने या रिसाइकल करने जैसे सुरक्षित और पारंपरिक तरीकों का पालन करें। (Photo Source: Pexles)
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नया दीया = नई शुरुआत
मिट्टी के नए दीये का पूजा में उपयोग करना शुभ माना जाता है। नया दीया लक्ष्मी और समृद्धि का प्रतीक है और यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। पुराने दीये को एक बार जलाने के बाद उसे विसर्जित करना या सुरक्षित तरीके से मिट्टी में मिलाना ही उचित है। (Photo Source: Pexles)
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