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आज बुद्ध पूर्णिमा है और ये त्योहार हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों ही लोगों में विशेष महत्व रखता है। गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। (Indian Express)
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महात्मा बुद्ध ने 29 वर्ष की उम्र में अपना महल छोड़ दिया था। सारनाथ में अपना पहला उपदेश देने वाले महात्मा बुद्ध ने 6 वर्थ तक एक वृक्ष के नीचे तपस्या की थी।
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लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान बुद्ध की मृत्यु को कैसे हुई थी। आइए जानते हैं:
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ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के मुताबिक, गौतम बुद्ध की मृत्यु जहरीला खाना खाने से हुई थी।
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भोजन करने के दौरान ही भगवान बुद्ध को पता चल गया था कि उनके खाने में जहर मिला है। इसके बाद उन्होंने मेजबान से वो खाना अपने शिष्यों को परोसने से रोक दिया था।
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सद्गुरु के मुताबिक, गौतम बुद्ध ने मेजबान से कहा कि, ‘आपका खाना बहुत स्वादिष्ट था, मैं वो खा चुका हूं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि मेरे शिष्य इस खाने को पचा पाएंगे। इसलिए कृपया उन्हें यह खाना न दें’।
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इसके बाद गौतम बुद्ध की तबियत बिगड़ने लगी और वो वहीं जमीन पर लेट गए। वो उस जगह से उठ नहीं पा रहे थे जिसके बाद वो अपना सिर टिकाकर लेट गए और उपदेश देने लगे।
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इस मुद्रा को आज ‘महापरिनिर्वाण’ कहते हैं। लेटे हुए गौतम बुद्ध की प्रतिमा को उनके अंतिम संदेश की वजह से विशेष स्थान मिला हुआ है।
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कहते हैं कि उनका अंतिम संदेश था ‘अप्प दीपो भव’ यानी अपने दीपक स्वयं बनो। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वयं के ज्ञान और अनुभव से प्रकाश पाने की आवश्यकता है।
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हालांकि, भगवान बुद्ध की मृत्यु को लेकर कई और भी मत हैं।
