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भारत की मिठाइयों की दुनिया बेहद समृद्ध रही है। हर राज्य, हर त्योहार, हर परंपरा के साथ कोई न कोई खास मिठाई जुड़ी होती थी, जो स्वाद के साथ-साथ संस्कृति की मिठास भी समेटे रहती थी। लेकिन बदलते वक्त, बाजार की भीड़ और इंस्टेंट लाइफस्टाइल ने कई ट्रेडिशनल मिठाइयों को पीछे छोड़ दिया है। (Photo Source: Unsplash)
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ये मिठाइयां जो कभी घर-घर में बनती थीं, अब सिर्फ किताबों, बुजुर्गों की यादों या मंदिरों तक सीमित रह गई हैं। आइए जानें उन 8 देसी मिठाइयों के बारे में जो कभी हमारे त्योहारों की जान हुआ करती थीं, लेकिन अब गुमनामी के अंधेरे में खोती जा रही हैं। (Photo Source: Unsplash)
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बबरू – हिमाचल प्रदेश
गेहूं और गुड़ से बनी यह मिठाई देखने में देसी डोनट जैसी लगती है। बबरू को खास अवसरों और त्योहारों पर तलकर बनाया जाता था, लेकिन अब शहरीकरण और बदलती खानपान की आदतों के चलते यह मिठाई लोगों की थाली से गायब हो चुकी है। (Photo Source: Veing Himachali/Facebook) -
अधिरसम – तमिलनाडु
चावल के आटे और गुड़ को फर्मेंट कर बनाई जाने वाली यह मिठाई कभी तमिल परिवारों में खास रिवाज मानी जाती थी। लेकिन इसे बनाने की जटिल प्रक्रिया और बाजार में उपलब्ध इंस्टेंट डेजर्ट्स के चलते अब यह दुर्लभ होती जा रही है। -
पूथारेकुलु – आंध्र प्रदेश
चावल के स्टार्च से बनाई जाने वाली यह पेपर-थिन मिठाई अंदर से गुड़ और घी से भरी होती है। इसका स्वाद जितना अनोखा है, बनाना उतना ही टाइम कंज्यूमिंग है और इसे बनाने में काफी मेहनत लगती है। पूथारेकुलु अब मुख्य रूप से मंदिरों तक सीमित हो गई है और घरों में बनाना मुश्किल हो गया है। (Photo Source: dadus) -
छेनार जिलिपी – बंगाल
यह पनीर से बनी नरम जिलिपी, ट्रेडिशनल जलेबी से अलग और ज्यादा रिच होती है। पहले बंगाल की मिठाई की दुकानों में आम थी, लेकिन अब यह भी कम ही मिलती है। (Photo Source: Yummy Recipes/Facebook) -
खरवस – महाराष्ट्र
खरवास गाय के पहले दूध (कोलोस्ट्रम) से बनाई जाने वाली एक अनोखी कस्टर्ड जैसी मिठाई है, जो स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट दोनों होती है। लेकिन अब दुग्ध प्रथाओं में बदलाव और डेयरी फार्मों की कमी के चलते इसे मिलना मुश्किल हो गया है। (Photo Source: Swayampurna Goa) -
साटा – महाराष्ट्र और गोवा
आटे, घी और चीनी की परतों से बनी यह कुरकुरी मिठाई शादी-ब्याह में जरूरी मानी जाती थी। पर अब मिठाइयों की चमक-धमक के बीच यह खो सी गई है। (Photo Source: Chitra Chellani/Facebook) -
परवल की मिठाई – उत्तर भारत
परवल को खोया और ड्राय फ्रूट्स से भरकर बनाया गया यह मिठाई का स्वरूप अब सिर्फ खास मिठाई की दुकानों में ही कभी-कभी दिखता है। इसकी बनावट और स्वाद इसे अनूठा बनाते हैं, लेकिन यह भी अब कम होती जा रही है। (Photo Source: Vecteezy) -
आलेपाक– ओडिशा
गुड़ और चावल से बिना आग के बनी यह मिठाई जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में दी जाती है। यह सिर्फ धार्मिक महत्व तक ही सीमित रह गई है और आम लोगों की रसोई से लगभग गुम हो चुकी है। (Photo Source: Saucepans and Spices) -
संभालनी होगी अपनी मिठास की विरासत
इन मिठाइयों का स्वाद सिर्फ जुबान पर नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपराओं और भावनाओं में भी बसता है। अगर इन्हें आज नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए ये मिठाइयां सिर्फ किताबों में दर्ज नाम बनकर रह जाएंगी। जरूरत है कि हम इन पारंपरिक व्यंजनों को फिर से अपनाएं, अपनी रसोई में लौटाएं और अगली पीढ़ी तक इनका स्वाद और किस्से दोनों पहुंचाएं। (Photo Source: Unsplash)
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