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बिहार सिर्फ अपनी संस्कृति, त्योहारों और इतिहास के लिए ही नहीं, बल्कि अपने समृद्ध खाद्य-विरासत के लिए भी जाना जाता है। यहां के कई पारंपरिक खाद्य पदार्थों को Geographical Indication (GI) Tag मिला है, जो उनके विशिष्ट स्वाद, सुगंध, गुणवत्ता और भौगोलिक पहचान की आधिकारिक मान्यता है। ये फूड्स न केवल बिहार की मिट्टी की झलक दिखाते हैं, बल्कि राज्य की कृषि और कारीगरी की अनमोल धरोहर भी हैं। आइए जानते हैं, बिहार के उन 7 खास GI टैग्ड फूड्स के बारे में, जो स्वाद और परंपरा दोनों को सहेजकर रखते हैं—
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भागलपुरी ज़र्दालू आम (2018)
भागलपुर का यह अनोखा आम अपनी क्रीमी पीली रंगत, अलहदा सुगंध और बेहद मीठे स्वाद के लिए मशहूर है। इसका पतला छिलका और गाढ़ा गूदा इसे अन्य आमों से अलग बनाता है। 2018 में GI टैग मिलने के बाद इसकी पहचान राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर और मजबूत हुई। (Photo Source: Pexels) -
मिथिला मखाना (2022)
मिथिला क्षेत्र की शान—मखाना—अपनी पौष्टिकता और शुद्धता के चलते पूरे देश में लोकप्रिय है। यह खास किस्म के एक्वेटिक फॉक्स नट यानी कमल के बीज होते हैं। GI टैग मिलने से इसकी खेती, गुणवत्ता और किसानों की आय में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। (Photo Source: Pexels) -
शाही लीची (2018)
मुजफ्फरपुर की शाही लीची दुनिया भर में अपनी अद्भुत खुशबू, बेहद रसीले गूदे और छोटे बीज के कारण प्रसिद्ध है। इस लीची का स्वाद इतना खास होता है कि पहली ही बाइट में इसका अंतर महसूस किया जा सकता है। 2018 में GI टैग मिला, जिसने इसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाई। (Photo Source: Pexels) -
मार्चा चावल (2023)
मार्चा चावल एक सुगंधित, नॉन-बासमती किस्म है। इसके दानों की आकृति काली मिर्च (मरिचा/मिर्चा) जैसी होने के कारण इसका नाम पड़ा। 2023 में GI टैग मिलने के बाद इस चावल को विशेष पहचान मिली, खासकर इसके विशिष्ट स्वाद और सुगंध के कारण। (Photo Source: Pexels) -
मगही पान (2018)
गया और नवादा क्षेत्र का मशहूर मगही पान अपनी चमकीली हरी पत्तियों, मनमोहक सुगंध और विशेष स्वाद के लिए जाना जाता है। इसकी लंबी शेल्फ लाइफ इसे और भी खास बनाती है। GI टैग मिलने से इसकी खेती और व्यापार को नई उड़ान मिली। (Photo Source: Pexels) -
कतरनी चावल (2018)
भोजपुर, बक्सर और बांका क्षेत्रों का कतरनी चावल अपने नाजुक छोटे दानों, बेहद सुगंधित खुशबू और उत्तम गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह पारंपरिक रूप से शादियों, पूजा-पाठ और विशेष अवसरों पर उपयोग किया जाने वाला चावल है। (Photo Source: Unsplash) -
सिलाओ खाजा (2018)
नालंदा जिले के सिलाओ का खाजा अपने कई पतले कुरकुरे लेयर, घी की खुशबू और शुद्ध स्वाद के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यह पारंपरिक मिठाई इतनी हल्की और क्रिस्पी होती है कि मुंह में रखते ही घुल जाती है। GI टैग मिलने से इसकी ब्रांड वैल्यू और बढ़ गई है। -
बिहार की समृद्ध खाद्य पहचान
इन सभी GI टैग्ड उत्पादों ने न केवल बिहार की पाक विरासत को विश्व मंच पर स्थापित किया है, बल्कि स्थानीय किसानों, कारीगरों और परंपरागत उद्योगों को भी नई पहचान और स्थिर आय का स्रोत दिया है। ये फूड्स बिहार के गर्व, स्वाद और संस्कृति का ऐसा संगम हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रदेश की अनोखी पहचान से जोड़ते रहेंगे। (Photo Source: Pexels)
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