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अमेरिका के सान बर्नार्डिनो में बीते बुधवार को फायरिंग करके 14 लोगों की जान लेने वाले पाकिस्तानी मूल के हमलावर सैयद रिजवान फारूक (28) और उसकी पत्नी ताश्फीन मलिक (27) के बारे में हर रोज नई जानकारी सामने आ रही है। आईएसआईएस ने दोनों को अपना समर्थक बताया है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बुरका पहनने वाली और पुरुषों से बातचीत न करने वाली तश्फीन शुरुआत से ही ऐसी नहीं थी। पाकिस्तान में रहने वाले उसके रिश्तेदारों ने बताया कि तश्फीन के घरवाले बेहद अमीर और प्रभावशाली थे। तश्फीन और उसके घरवाले काफी वक्त तक सऊदी अरब में भी रह चुके थे। रिश्तेदारों के मुताबिक, तश्फीन कभी पश्चिमी लिबास पहनती थी। हालांकि, बाद में जब उसने पढ़ाई के लिए पाकिस्तान के बुहुद्दीन जकरी यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया तब से ही उसमें बदलाव आने लगा। फोटो में तश्फीन और उसका पति फारूक (AP/PTI) आगे की स्लाइड्स में पढ़े तफ्शीन के बारे में जांचकर्ताओं को और क्या पता चला।
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रिश्तेदारों के मुताबिक, तश्फीन यूनिवर्सिटी में फार्मासिस्ट की पढ़ाई कर रही थी। यहीं से तश्फीन के बर्ताव में बदलाव आना शुरू हुआ। दो साल की पढ़ाई के बाद 2007 की शुरुआत से वह फेसबुक पर कट्टरपंथी साहित्य शेयर करने लगी और एक रहस्मयी शख्स से देर रात तक अरबी भाषा में बात भी करती थी। घरवालों में किसी को अरबी भाषा नहीं पता थी, इसलिए उन्हें यह नहीं मालूम होता था कि वो क्या बात कर रही है। इस बात को लेकर घरवालों को काफी चिंता थी। फोटो में तश्फीन की रिश्तेदार इफ्जा बतूल, जिन्होंने असोसिएटेड प्रेस के साथ इस्लामाबाद से 450 किमी दूर करुर लाल इसाम कस्बे में बातचीत की। तफ्सीन की सौतेली चाची इफ्जा ने ही बताया कि वो कभी पश्चिमी लिबास पहनती थी। (AP Photo)
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तश्फीन धीरे धीरे धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगी। वो अपने परिवार के और आसपास की महिलाओं को अच्छा मुसलमान बनने की नसीहत देने लगी। सऊदी अरब में महिलाओं को हिजाब पहनना होता है, लेकिन बुरका पहनना जरूरी नहीं है। तश्फीन ने पाकिस्तान के मुल्तान स्थित जिस बुहुद्दीन जकरी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, वहां भी कोई ड्रेस कोस नहीं है। इसके बावजूद, वो पर्दा करने लगी। यूनिवर्सिटी में तश्फीन को पढ़ाने वाले डॉ नासिर हुसैन ने बताया कि वो बेहद इंटेलिजेंट थी। उसके क्लास में सबसे ज्यादा नंबर आते थे। तस्वीर में वो यूनिवर्सिटी, जहां तफ्शीन ने पढ़ाई की। (AP PHOTO)
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तश्फीन के टीचर नासिर हुसैन का कहना है कि वो उस वक्त धार्मिक तो थी, लेकिन कट्टरवादी कतई नहीं थी। वो क्लास के दूसरे बच्चों से धर्म पर कोई बातचीत नहीं करती थी। पाकिस्तान में तश्फीन के पुश्तैनी घर के करीब रहने वाले कुछ दूसरे लोगों ने बताया कि उसकी बीते साल ही फारूक से शादी हुई थी, जिसके बाद वो अमेरिका चली गई। फायरिंग की घटना के बाद मामले की जांच कर रहे कुछ अफसरों का मानना है कि तश्फीन ने ही अपने पति का ब्रेनवॉश किया और उसे कट्टरपंथ की ओर ढकेला। तस्वीर पाकिस्तान के मुल्तान में तफ्शीन के पिता के घर के बाहर की है। यहीं रहकर उसने फार्मा की पढ़ाई की। (AP Photo)
माना जाता है कि 2013 और 2014 में फारूक जब सऊदी अरब गया तो वो और उसकी पत्नी अलकायदा के संदिग्ध आतंकियों के संपर्क में आए। लॉस एंजिलिस टाइम्स ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि फारूक के अल नुसरा फ्रंट से भी रिश्ते रहे थे। सीरिया में अल नुसरा फ्रंट को अलकायदा, जबकि सोमालिया में उसे अल शबाब सपोर्ट करता है। अमेरिकी अधिकारी अब पाकिस्तानी अफसरों से तश्फीन के इस्लामाबाद के लाल मस्जिद से कनेक्शन की जांच कर रहे हैं। तस्वीर तफ्शीन के होम टाउन करुर लाल इसाम की है। (AP PHOTO) -
लाल मस्जिद को पाकिस्तानी कट्टरपंथ का गढ़ माना जाता है। लाल मस्जिद के इमाम मौलाना अजीज ने पिछले साल आईएसआईएस के समर्थन का ऐलान किया था। वहीं, तश्फीन मलिक ने फेसबुक पर आईएसआईएस के सरगना अबू बकर अल बगदादी के प्रति वफादारी का संकल्प लिया था। बता दें कि बुधवार को हुए हमले के बाद फारूख और तश्फीन को मार गिराया गया जबकि तीसरा हमलावर गिरफ्त में है। आतंकी संगठन ‘आईएसआईएस’ ने हमले की जिम्मेदारी ली है। तस्वीर एक ट्रक की है। अमेरिकी सुरक्षाकर्मियों और हमलावर कपल के बीच फायरिंग के दौरान इसके शीशों में भी गोलियां लगी थीं। (AP PHOTO)
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तश्फीन और उसके पति के परिवार का बचाव कर रहे वकील का कहना है कि तश्फीन की अपने पति से मुलाकात एक डेटिंग साइट के जरिए 2013 में हुई। इसके बाद, वो जुलाई 2014 में अमेरिका आई। उस वक्त उसके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट और फारूक का वीजा था। इसके बाद, दोनों ने इसी साल अगस्त में कैलिफोर्निया में शादी कर ली। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि दोनों से कोई संदिग्ध आतंकियों की लिस्ट में नहीं था। यहां तक कि सऊदी अरब में भी तश्फीन पर किसी को शक नहीं था। ऊपर फोटो में तश्फीन का पाकिस्तानी आईकार्ड (REUTERS)
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अमेरिका में तश्फीन और उसके फारूक से मिलने वालों ने बताया कि तश्फीन बेहद पारंपरिक महिला थी। वो बुर्के में रहती और घर में आने वाली सिर्फ महिलाओं से बात करती। इसलिए फारूक के किसी जानने वाले ने उससे कभी बात नहीं की। इसके अलावा, उसकी अंग्रेजी भी कमजोर थी। उसने भले ही फॉर्मा की पढ़ाई की, लेकिन अमेरिका में कभी नौकरी नहीं की। उसने हाउसवाइफ बनना बेहतर समझा। तश्फीन और फारूक की छह महीने की बेटी भी थी। तस्वीर में वो मकान दिख रहा है, जहां तश्फीन और उसका पति किराए पर रहते थे। (AP PHOTO)
