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लांस नायक हनमनथप्पा के साथ सियाचीन में शहीद हुए अन्य नौ सैनिकों के शव 15 फरवरी को सेना के हेलिकॉप्टर से दिल्ली लाये गये। दिल्ली में सैनिकों के शवों के अंतिम दर्शन के बाद, शवों को उनके परिवारों को सौप दिया जायेगा। 3 फरवरी को सियाचीन में आये हिमस्खलन के बाद से ही ये 10 सैनिक लापता थे जिनकी बाद में सेना ने शहीद होने की पुष्टि की थी। जानिए कौन थे ये नौ शहीद, जो कभी सियाचीन से लौट कर घर ना आये।
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सुबेदार नागेश टीटी 22 साल से सेना में थे। 22 साल की सर्विस में 12 साल उनकी पोस्टिंग दुर्गम जगहों पर ही रही। सुबेदार नागेश टीटी ऑपरेशन पराक्रम का भी हिस्सा रहे थे जिनमें उन्होंने बड़ी मात्रा में माइंस निकाली थी। सुबेदार नागेश टीटी अपनी बहादुरी और हर हाल में मुस्कुराने के लिए जाने जाते थे। नागेश टीटी कर्नाटक के हासन जिले से थे। उनके छह साल और चार साल के दो लड़के हैं।
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हवलदार एलुमलाई एम साल 1996 में मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। शहीद एलुमलाई नॉर्थ-ईस्ट और जम्मू और कश्मीर में सेना के कई सफल ऑपरेशन का हिस्सा रहे। एलुमलाई अपने साथियों में अपने बेहतरीन निशानों के लिए जाने जाते थे। शहीद एलुमलाई की पत्नी का नाम जमुना रानी है और उनके छह साल और चार साल के दो लड़के हैं।
लांस हवलदार एस कुमार साल 1998 में सेना में भर्ती हुए थे। 17 साल की सर्विस में से शहीद एस कुमार 9 साल मुश्किल जगहों पर पोस्टेड रहे। हवलदार एस कुमार साल 1999-2000 में भी एक साल सियाचीन में पोस्टेड रह चुके हैं। साल 2001-2002 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ चलाये गये सेना का ऑपरेशन पराक्रम में भी हवलदार एस कुमार शामिल थे। शहीद एस कुमार अपने साथियों में अपने हसमुख स्वभाव और बात बात पर जोक सुनाने के लिए जाने जाते थे। शहीद एस कुमार की पत्नी का नाम कवीता है और इनका आठ साल का एक बेटा है। -
लांस नायक सुधीश बी नॉर्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर के कई सफल सैनिक ऑपरेशन में हिस्सा बने। शहीद सुधीश दुश्मनों के साथ मैदान में जितने दिलेर थे उतने ही खेल के मैदान में माहिर खिलाड़ी थे। सुधीश खेलों में बेहद रूचि लेते थे। शहीद सुधीर की पत्नी का नाम सालुमोल पी है।
सिपाही मुश्ताक अहमद ने मद्रास रेजीमेंट की 19 वीं बटालियन साल 2004 में ही ज्वाइन की थी। सिर्फ 30 साल की उम्र में यह दिलेर सैनिक शहीद हो गया। -
सिपाही महेश पी एन मद्रास रेजीमेंट की 19 वीं बटालियन में साल 2005 में भर्ती हुए। 11 साल की सर्विस में से शहीद महेश पीएन करीब सात साल मुश्किल जगहों पर पोस्टेड रहे। महेश पीएन को पहाड़ों से बेहद प्यार था वो गजब की फूर्ति के साथ पहाड़ चढ़ते थे। अगस्त 2015 से इनकी पोस्टिंग सियाचीन में थी। शहीद महेश बटालियन की फुटबॉल टीम के लिए खेला करते थे। शहीद महेश पी एन के घर में सिर्फ उनकी मां और छोटे भाई रहते हैं और यह अपने घर में अकेले कमाने वाले थे।
सिपाही रामामूर्ति एन मद्रास रेजीमेंट की 19 वीं बटालियन में साल 2009 में भर्ती हुए। अपने सिर्फ सात साल के सैनिक जीवन में शहीद रामामूर्ति कई मुश्किल ऑपरेशन में शामिल रहे। नॉर्थ-ईस्ट मे सेना के ऑपरेशन में इन्होंने गजब की बहादुरी दिखाई थी। नॉर्थ ईस्ट के बाद सिपाही रामामूर्ति को जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ने के लिए भेजा गया। शहीद रामामूर्ति की शादी कुछ दिनों पहले ही हुई थी। सिपाही गणेशन जी सिर्फ छह साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। शहीद गणेशन मद्रास रेजीमेंट की 19 वीं बटालियन में साल 2010 में भर्ती हुए। ये तमिलनाडू की मदुराई जिले के रहने वाले थे। शहीद गणेशन जी अविवाहित थे। इनके छोटे भाई भी सेना में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं। सिपाही ए सूर्यावंशी एस वी का जन्म 25 मई साल 1991 में हुआ था। ये महाराष्ट्र के सतारा जिले के रहने वाले थे। अपनी पढ़ाई खत्म होते ही सूर्यावंशी सेना में भर्ती हो गए। सूर्यावंशी आर्मी के मेडिकल टीम के हिस्सा थे। शहीद सूर्यावंशी के घर में इनकी पत्नी और बेटी और माता-पिता हैं।
