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शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं। राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया में इस तरह की बातें हो रही हैं कि शिवपाल बीजेपी (BJP) के साथ जा सकते हैं। दरअसल चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही शिवपाल अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ नजर नहीं आए हैं।
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अखिलेश यादव और शिवपाल के 2017 में यूपी विधानसभा के चुनाव से पहले से ही संबंध खराब हो गए थे। तब ना सिर्फ अखिलेश बल्कि रामगोपाल यादव पर भी शिवपाल खुल कर जुबानी हमले कर रहे थे। (यह भी पढ़ें – शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के अलावा राजनीति में चर्चित है इन पांच चाचा-भतीजों की अदावत)
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शिवपाल यादव ने सपा से अलग हो कर अपनी अलग पार्टी बना ली थी। 2019 में रामगोपाल यादव ने उन्हें चैलेंज किया था कि शिवपाल यादव फिरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ लें, जमानत जब्त हो जाएगी।
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शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव का चैलेंज स्वीकार कर लिया। तब वहां से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय सांसद थे। 2019 में भी अक्षय यादव सपा के टिकट पर मैदान में उतरे। (यह भी पढ़ें: पौने दो करोड़ के बंगले में रहते हैं शिवपाल के बेटे, राजघराने में हुई है डिंपल यादव के देवर की शादी )
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शिवपाल यादव अपनी पार्टी प्रसपा के टिकट पर चुनाव लड़ गए। बीजेपी ने चंद्रेसन जादौन को टिकट दिया।
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चुनाव के नतीजे आए तो चंद्रसेन जादौन जीत गए। वह अक्षय यादव से करीब 28 हजार वोट ज्यादा पाकर विजयी रहे।
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शिवपाल यादव ना तो जीते और ना ही उनकी जमानत जब्त हुई। हालांकि उन्होंने रामगोपाल यादव के बेटे को हराने में अहम भूमिका निभाई। दरअसल शिवपाल ने सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंधमारी करते हुए करीब 91 हजार वोट पा लिये। (यह भी पढ़ें- बेटी डॉक्टर तो दामाद IAS, जानिए क्या करते हैं शिवपाल यादव के परिवार के सदस्य)
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अगर शिवपाल यादव चुनाव ना लड़ते तो शायद ये वोट रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय के खाते में जाते और नतीजा कुछ और हो सकता था। इस तरह से शिवपाल यादव ने अपने बड़े भाई रामगोपाल को ‘सबक’ सिखाया था।
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बता दें कि शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के संबंध कुछ खास नहीं हैं। कई मौकों पर दोनों एक दूसरे के खिलाफ टिप्पणियां कर चुके हैं। शिवपाल और रामगोपाल यादव चचेरे भाई हैं। (यह भी पढ़ें: कोई अच्छा घुड़सवार तो कोई बेहद गुस्सैल, जानिए मुलायम फैमिली की बहुओं के रोचक सीक्रेट्स )
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Photos: PTI and Social Media
