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आजकल जहां कई देश जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के प्रयास में लगे हुए हैं, वहीं, भारत जैसे देशों में जहां परिवार नियोजन के तहत ‘छोटा परिवार, सुखी परिवार’ का संदेश दिया जा रहा है। मगर इन सबके बीच एक देश में जनसंख्या बढ़ाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया गया है। (Photo Source: Pexels)
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दरअसल, हम बात कर रहे हैं रूस की। रूस की सरकार ने हाल ही में एक अनोखा कदम उठाते हुए ऐसा कानून बना दिया है, जिसके तहत बच्चा पैदा न करने को बढ़ावा देने वाले विचारों और प्रचार पर प्रतिबंध लगाया गया है। (Photo Source: Pexels)
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रूस ने एक नए कानून के तहत ‘चाइल्ड-फ्री’ विचार को बढ़ावा देने और उसका प्रचार करने पर रोक लगा दी है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति या संगठन बच्चा न पैदा करने के विचार का प्रचार करता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। (Photo Source: Pexels)
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इस कानून के तहत व्यक्ति के लिए 400,000 रूबल (लगभग 3.5 लाख रुपये) तक का जुर्माना और संगठनों के लिए 5 मिलियन रूबल (43 लाख रुपये) तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है। इस कानून का उद्देश्य रूस की गिरती जन्म दर को रोकना और पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। (Photo Source: Pexels)
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रूस में जन्म दर में गिरावट और उम्रदराज लोगों की संख्या में वृद्धि एक बड़ी समस्या बन गई है। रूस की सरकार इसे देश के आर्थिक और सामाजिक भविष्य के लिए खतरा मान रही है। यही कारण है कि रूस ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए इस तरह के कानून बनाए हैं। (Photo Source: Pexels)
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रूस में इस कानून को बनाने के पीछे एक कारण यह भी है कि रूसी सरकार चाइल्ड-फ्री विचारधारा को “पश्चिमी प्रोपेगैंडा” मानती है। सरकार का कहना है कि यह पश्चिमी विचारधारा रूस के पारंपरिक मूल्यों को कमजोर कर रही है और रूसी नागरिकों को बच्चे पैदा करने से दूर कर रही है। (Photo Source: Pexels)
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ड्यूमा (रूस की संसद) के स्पीकर व्याचेस्लाव वोलोडिन ने इस विधेयक को ‘फेटेलिस्टिक लॉ’ बताया है, और कहा है कि बिना बच्चों के देश का अस्तित्व नहीं रह सकता। इस कानून के साथ ही रूस ने एक और सख्त कदम उठाया है, जिसके तहत उन देशों के नागरिकों द्वारा रूसी बच्चों को गोद लेने पर प्रतिबंध लगाया गया है जो लिंग परिवर्तन को अधिकृत करते हैं। इसका उद्देश्य रूसी बच्चों को ऐसे देशों की विचारधारा से दूर रखना है। (Photo Source: Pexels)
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इस कानून के लागू होने से रूस में गर्भनिरोधक और प्रजनन स्वास्थ्य की जानकारी पर भी असर पड़ सकता है। कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कानून की अस्पष्टता के कारण किशोरों को शिक्षा देने में परेशानी हो सकती है और गर्भनिरोधक के प्रचार पर भी प्रतिबंध लग सकता है। (Photo Source: Pexels)
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आलोचकों का मानना है कि यह कानून व्यक्तिगत पसंद की स्वतंत्रता का हनन करता है और नागरिकों के जीवन पर अनावश्यक रोक लगाता है। इस कानून के परिणाम क्या होंगे, यह कहना कठिन है। हालांकि रूस सरकार का मानना है कि यह कानून जनसंख्या वृद्धि में मदद करेगा और पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देगा। (Photo Source: Pexels)
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लेकिन आलोचक इसे एक कठोर और अनावश्यक कदम मानते हैं, जिससे लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा। इस कानून पर अब संसद के ऊपरी सदन में विचार किया जाएगा और फिर इसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। उनके हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। (Photo Source: Pexels)
