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वेटिकन सिटी में गुरुवार शाम एक ऐतिहासिक क्षण देखा गया जब सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकलते ही यह स्पष्ट हो गया कि रोमन कैथोलिक चर्च को नया पोप मिल गया है। इसके बाद सेंट पीटर्स बैसिलिका की बालकनी से घंटियों की आवाज गूंज उठी और हजारों की संख्या में जमा श्रद्धालुओं ने जश्न मनाया। (AP Photo)
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69 वर्षीय कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को दो दिनों की विचार-विमर्श के बाद चर्च का 267वां पोप चुना गया। वह अमेरिका से आने वाले पहले पोप हैं और उन्होंने पोप लियो चौदहवें (Pope Leo XIV) के रूप में अपना रेजनल नाम चुना। (AP Photo)
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अपने पहले संबोधन में शांति और एकता का संदेश
पोप लियो XIV ने अपनी पहली टिप्पणी इतालवी भाषा में दी जिसमें उन्होंने कहा, “शांति का यह संदेश आपके हृदयों में प्रवेश करे, आपके परिवारों और पूरी दुनिया तक पहुंचे।” (AP Photo) -
उन्होंने अपने पूर्ववर्ती पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी और विश्वासियों से अपील की कि “आगे बढ़ें, बिना किसी डर के, ईश्वर और एक-दूसरे का हाथ थामे हुए।” (REUTERS Photo)
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अमेरिका से वेटिकन तक का सफर
शिकागो में जन्मे प्रीवोस्ट को 2023 में पोप फ्रांसिस ने कार्डिनल बनाया था। वे वेटिकन के Dicastery for Bishops जैसे प्रभावशाली विभाग में सेवा कर चुके हैं, जो दुनिया भर के बिशपों की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाता है। (AP Photo) -
इससे पहले, वे Augustinian Order के प्रमुख रहे और पेरू में चिकलायो के बिशप के रूप में कई वर्षों तक सेवा दी। इस अनुभव ने उन्हें नेतृत्व और वैश्विक दृष्टिकोण दोनों दिया। (AP Photo)
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मतगणना में भारी समर्थन
कॉन्क्लेव में कुल 133 कार्डिनल्स ने मतदान किया, जिसमें प्रीवोस्ट को 89 से अधिक मत मिले। वर्षों से अमेरिका के किसी कार्डिनल को पोप न चुने जाने के पीछे कारण था अमेरिका की वैश्विक शक्ति और वहां की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति। लेकिन इस बार वह बाधा भी टूट गई। (AP Photo) -
‘लियो’ नाम का महत्व
पोप लियो XIV ने जिस नाम का चयन किया वह रोमन कैथोलिक चर्च के इतिहास में शक्तिशाली और वैचारिक रूप से मजबूत नेताओं से जुड़ा रहा है। (AP Photo) -
इससे पहले पोप लियो XIII (1878–1903) इस नाम के सबसे चर्चित पोप रहे, जो अपने सामाजिक सिद्धांतों और बौद्धिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। (AP Photo)
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पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि
पोप लियो XIV ने अपने भाषण में पोप फ्रांसिस को याद करते हुए कहा, “आइए हम पोप फ्रांसिस की वह धीमी लेकिन शक्तिशाली आवाज याद करें जिसने रोम को आशीर्वाद दिया। वह आशीर्वाद पूरी दुनिया के लिए था। मैं उस आशीर्वाद को आगे ले जाना चाहता हूं – ईश्वर हमसे प्रेम करता है। बुराई पर अच्छाई की ही जीत होगी।” (AP Photo)
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