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मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार को लेकर एक अफवाह फैलाई जा रही थी कि वह भी मुंह पर पट्टी बांध शाहीन बाग में धरने पर बैठे हैं। अब रवीश कुमार ने इस तरह की चल रही अफवाहों की हकीकत बयां की है। रवीश कुमार ने बताया है कि जो तस्वीर उनकी बता कर वायरल की जा रही है वो दरअसल एक महिला की है। रवीश ने इस तरह की हरकतें करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये लोगों को सियासी तौर पर मानसिक ग़ुलाम बनाए रखने का मनोवैज्ञानिक प्रोजेक्ट है।
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दरअसल ये तस्वीर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में वायरल हो रही थी। इसे रवीश कुमार का बता सर्कुलेट किया जा रहा था।
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लोग लिख रहे थे कि ये रवीश कुमार हैं। कोई प्रशनवाचक चिन्ह लगाकर ये बातें लिख रहा था तो कोई स्माइली के साथ।
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रवीश ने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए इस वायरल तस्वीर की हकीकत बयां की है।
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रवीश ने बताया कि जिस महिला की तस्वीर को उनकी बता कर वायरल किया जा रहा है दरअसल वह शकीला बेगम नाम की एक महिला की है।
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रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि शकीला शाहीन बाग के पास ही रहती हैं।
रवीश कुमार ने लिखा है कि मानसिक रूप से गुलाम हो चुके कई लोग मेरी पोस्ट के कमेंट में इस महिला की तस्वीर को मेरी बता पोस्ट कर रहे थे। -
बता दें कि शाहीन बाग में पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रही हैं।
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शाहीन बाग का ये प्रदर्शन स्थल काफी चर्चा में बना हुआ है।
