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मथुरा के जवाहर बाग में पुलिस और 'सत्याग्रहियों' के बीच खूनी संघर्ष की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को हिलाकर रख देने वाली इस घटना में पुलिस के आध एक अधजली किताब मिली है। जिसमें 'स्वाधीन भारत सुभाष सेना' को मिलने वाले पैसों का जिक्र है। (EXPRESS PHOTO)
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इस संस्था को ज्यादातर रकम गुजरात और उड़ीसा जैसे राज्यों से मिली है। जिसका ज्यादातर हिस्सा सुभाष सेना ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे लड़ने वाले वकील को दिया। (EXPRESS PHOTO)
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संस्था की तरफ से जवाहर बाग में एक स्कूल भी चलाया जा रहा था। जिसमें करीब 300 बच्चे पढ़ते थे। (EXPRESS PHOTO)
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दो साल तक कब्जे के दौरान स्वाधीन भारत सुभाष सेना के लोगों ने यहां पर पक्के निर्माण बना लिए। पेड़ों को काट दिया और बाग को उजाड़ दिया। साथ ही अस्पताल, स्कूल और मकान तक बना लिए। (EXPRESS PHOTO)
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आगरा संभाग के आयुक्त प्रदीप भटनागर ने कहा कि हथियारबंद गुंडों के तीन-चार समूह बना दिए गए थे, जिसे वे ‘बटालियन’ कहते थे। आईजी ने कहा, ‘जब भी कोई आम आदमी या अधिकारी अंदर जाता था तो वे उस पर हमला कर देते थे। (EXPRESS PHOTO)
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वे अपने अनुयायियों को किसी भी हालत में बाहर कदम नहीं रखने देते थे।’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें बाहर जाने के लिए लिखित परमिट दिया जाता था और उन्हें बाहर जाने की इजाजत तभी दी जाती थी यदि बाहर से कोई वहां आता था। (EXPRESS PHOTO)
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खुद को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रास्ते पर चलने वाला संप्रदाय करार देने वाले आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही की मांगें अजीबोगरीब रही हैं। यह संगठन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हटाने और भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल बंद करने की मांग करता रहा है। (EXPRESS PHOTO)