सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले कई वकीलों की महीने की कमाई करोड़ों में है। वे एक सुनवाई के ही लाखों रुपए लेते हैं। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम एक दर्जन वकील ऐसे हैं जिनकी लॉकडाउन से पहले रोज की कुल कमाई एक करोड़ रुपए के करीब हुआ करती थी। महीने में एक करोड़ के करीब कमाने वाले वकीलों की संख्या सौ के करीब बताई जाती है। लेकिन लॉकडाउन में कमाई बंद होने से परेशान छोटे वकीलों की मदद करने में इन्होंने जरा भी दरियादिली नहीं दिखाई। -
कोरोना और लॉकडाउन के चलते मुश्किलों का सामना कर रहे वकीलों की मदद के लिए सु्प्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने एक पहल चलाई। मकसद था ऐसे हर वकील को 20 हजार रुपए की मदद दी जाए। इस फंड में दान देने के मामले में करोड़ों कमाने वाले वकीलों ने बेहद 'कंजूसी' दिखाई। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
कई रईस वकीलों (जो नेता भी हैं) ने पीड़ितों का मददगार नहीं बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की थी। पर, जब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने इनसे मदद मांगी तो इनके हाथ जेब तक नहीं गए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने 25 लाख रुपए देकर फंड की शुरुआत की। -
पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने 15 लाख दिए। एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने 10 लाख रुपए से मदद की।
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सी.एस. वैद्यनाथन, रितिन राय, सी.यू. सिंह, के.वी. विश्वनाथन, महेश जेठमलानी और गुरु कृष्ण कुमार ने पांच-पांच लाख रुपए दिए। शुरुआत में केवल 19 सदस्यों ने ही दान दिए। बाद में मीडिया में खबर छपी तो कुछ और वकीलों ने दान देना शुरू किया। (तस्वीर में महेश जेठमलानी हैं)
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हरीश साल्वे और सिद्धार्थ लूथरा ने छह साल पहले वकीलों की मदद के लिए एक ट्रस्ट बनाया था। उसमें भी दान आना शुरू हुआ। अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने 15 लाख रुपए दिए, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी 13.5 लाख रुपए देने का वादा किया। विकास सिंह ने भी दस लाख रुपए भेजे। (तस्वीर में सिद्धार्थ लूथरा और हरीश साल्वे हैं।)
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पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार और वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने ट्रस्ट में पांच-पांच लाख रुपए दिए। (तस्वीर में मुकुल रोहतगी)
सिद्धार्थ लूथरा और उनकी बहन गीता ने भी सवा तीन लाख रुपए का योगदान दिया। -
फली एस. नरीमन, के.वी. विश्वनाथन, विजय हंसारिया और शिवाजी जाधव ने दो-दो लाख रुपए ट्रस्ट में दिए। (तस्वीर में शिवाजी जाधव)
