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महिलाओं के माथे पर सजी छोटी सी बिंदी भारतीय नारी के श्रृंगार का सबसे खास हिस्सा मानी जाती है। बिंदी सिर्फ सुंदरता का प्रतीक नहीं है बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रहस्य छुपा है। (Photo: Pexels) स्वाहा क्यों बोला जाता है? क्या इसके बिना अधूरी होती है पूजा, जानें क्या है महत्व
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बिंदी वैवाहिक जीवन की शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन बिंदी जिस स्थान पर लगाई जाती है उसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों नजरिए से बेहद खास महत्व है। आइए जानते हैं बिंदी का महत्व: (Photo: Pexels)
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बिंदी का मतलब
बिंदी शब्द संस्कृत के ‘बिंदु’ से आया है जिसके मतलब एक बिंदु होता है। यह सिर्फ एक साधारण बिंदु नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति और विज्ञान में इसका काफी खास महत्व है। (Photo: Pexels) -
तीसरी आंख से जोड़ता है
बिंदी माथे के उस स्थान पर लगाई जाती है जिसे ‘आज्ञा चक्र’ कहा जाता है, जिसे ध्यान और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इसके तीसरी आंख से भी जोड़ा जाता है जो ज्ञान और अंतर्ज्ञान का केंद्र मानी जाती है। (Photo: Freepik) संसद में इंडियन ड्रेस में ही क्यों नजर आते हैं अधिकतर सांसद, क्या भारतीय संसद में भी है कोई ड्रेस कोड? -
आत्मा को जागरूक करने का केंद्र
आज्ञा चक्र को देवी-देवताओं से जुड़ाव और आंतरिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस स्थान को ध्यान और आत्म-जागरूकता का केंद्र माना जाता है। (Photo: Pexels) -
क्या कहता है विज्ञान
वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो ये चक्र दिमाग, आंखों, पीनियल ग्रंथि और पिट्यूटरी ग्रंथि को प्रभावित करता है। सभी यहां से जुड़े होते हैं। महिलाएं जब बिंदी लगाती हैं तो इन ग्रंथियों पर कंट्रोल रहता है। मन पर सकारात्मक असर होता है। (Photo: Pexels) -
सेहत के लिए
इसके साथ ही भौहों के बीच के बिंदु पर जब प्रेशर पड़ता है तो इससे सिर दर्द में आराम मिल सकता है। साथ ही बिंदी लगाने से आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है। (Photo: Pexels) -
सकारात्मक ऊर्जा का संचार
इस स्थान को शरीर का एनर्जी पॉइंट माना जाता है। बिंदी लगाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और थकान कम होती है। साथ ही यह स्थान आंखों की मांसपेशियों और नर्व्स से जुड़ा है जहां पर बिंदी लगाने से आंखों को आराम मिलता है। (Photo: Freepik) नदी में पैसा फेंकना सही या गलत? प्रेमानंद महाराज ने बताया इसके बदले क्या करें
