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1. मन से सोचे हुए कार्य को वाणी द्वारा प्रकट नहीं करना चाहिए। लेकिन इसे मन में सोचते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए और चुप रहते हुए उस सोची हुई बात को कार्यरूप से बदलना चाहिए। (Photo: Unsplash)
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2- बुद्धिमान व्यक्ति को आपनी इंद्रियों को वश में करके समय के अनुरूप अपनी क्षमता को तौलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए। (Photo: Unsplash)
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3- जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी (दीमक लगी हुई लकड़ी) में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है। (Photo: Unsplash)
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4- किसी कष्ट अथवा आपत्तिकाल से बचाव के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए और धन खर्च करके भी स्त्रियों की रक्षा करनी चाहिए, परंतु स्त्रियों और धन से भी अधिक आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी रक्षा करें। (Photo: Unsplash)
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5- काम लेने पर नौकर-चाकरों की, दुख आने पर सगे संबंधों की, कष्ट आने पर मित्र की तथा धन नाश होने पर अपनी पत्नी की वास्तविकता का ज्ञान होता है। (Photo: Unsplash)
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6- किसी रोग से पीड़ित होने पर, दुख आने पर, अकाल पड़ने पर, शत्रु की ओर से संकट आने पर, श्मशान अथवा किसी व्यक्ति की मृत्यु के समय जो व्यक्ति साथ नहीं छोड़ता वास्तव में वही सच्चा मित्र होता है। (Photo: Unsplash)
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7- जो मनुष्य निश्चित को छोड़कर अनिश्चित के पीछे भागता है उसका कार्य या पदार्थ नष्ट हो जाता है। (Photo: Pexels)
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8- अगर नीच व्यक्ति के पास कोई अच्छी विद्या, कला अथवा गुण हो तो उसे सीखने में कोई हानि नहीं। (Photo: Unsplash)
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9- सभी पहाड़ों पर रत्न और मणियां नहीं मिलती हैं। न ही प्रत्येक हाथी के मस्तक में गजमुक्ता नामक मणि होती है। प्रत्येक वन में चंदन भी उत्पन्न नहीं होता है। इसी प्रकार सज्जन पुरुष सब स्थानों पर नहीं मिलते। (Photo: Unsplash)
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10- बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरे को हानि पहुंचाने वाले तथा गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है, वह जल्दी ही नष्ट हो जाता है। (Photo: Unsplash) ऐसे लोगों का भाग्य कभी नहीं छोड़ता साथ, चाणक्य की मान ली ये 10 बातें तो आसान हो जाएंगे कठिन रास्ते