-
शेक्सपियर ने कहा था नाम में क्या रखा है, लेकिन साल 1993 में मुलायम सिंह यादव से किसी ने ये पूछा होता तो उसे पता चलता कि नाम के फेर से चुनाव जीते और हारे भी जाते हैं।
-
मतदाताओं को कन्फ्यूज करने के लिए मुलायम सिंह यादव के साथ एक नहीं दो बार ऐसा हुआ कि उनके ही नाम के प्रत्याशी उनके खिलाफ खड़े कर दिए गए थे। मुलायम को अपने नाम राशि मुलायम से ही चुनाव के मैदान में लड़ना पड़ा था।
-
पहली बार 1989 में आया जब जसवंत नगर विधानसभा से मुलायम ने पर्चा भरा था तो उन्हीं की नाम राशि वाला एक व्यक्ति मुलायम सिंह यादव उनके खिलाफ खड़ा था।
-
तब मुलायम ने मतदाताओं को यह बताने के लिए कि वही असली मुलायम सिंह यादव हैं, अपने नाम में अपने पिता का नाम सुघड़ सिंह जोड़ दिया था और बैलेट पेपर पर उनका नाम छपा मुलायम सुघड़ सिंह यादव।
-
दो साल बाद 1991 में भी जसवंतनगर सीट से ही चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में भी उनके खिलाफ एक और मुलायम सिंह यादव ने पर्चा भर दिया था।
-
मुलायम सिंह यादव जब साल 1993 के चुनाव में एक साथ तीन सीटों से चुनाव लड़ने की ठानी थी और वह इटावा जिले की जसवंतनगर, फिरोजाबाद की शिकोहाबाद और एटा जिले की निधौली कलां सीटों से पर्चा भरे थे।
-
बता दें कि उस पर तो स्थिति इतनी विकट थी कि तीनों ही सीटों से मुलायम के खिलाफ उनकी नाम राशि वाले प्रत्याशी उतार दिए गए थे।
-
हालांकि, बता दें कि नाम से उलझाने की राजनीति मुलायम के खिलाफ कभी काम नहीं आ सकी थी और वह हर चुनाव को जीतते गए थे। Photos: Social Media
