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सावन के साथ ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत होती है। हर साल लाखों की संख्या में कावड़िया गंगाजल लेकर शिवालयों में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन कांवड़ यात्रा से जुड़े कई कड़े नियम हैं जिन्हें भक्तों को पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों को तोड़ने से भगवान शंकर नाराज हो सकते हैं। (Indian Express)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ियां हरिद्वार से गंगाजल लाकर सावन में शिवरात्रि के दिन अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को मनचाहा फल की प्राप्ति मिलती है और साथ ही वो सभी पापों से मुक्त हो जाता है। (Indian Express)
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नशा
कांवड़ यात्रा को तीर्थ भी कहा जाता है जिसके चलते इस यात्रा पर जाते समय किसी भी नशे या फिर मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। (Indian Express) -
जल
कांवड़ में गंगा या फिर किसी पवित्र नदी का जल रखा जाता है। इसमें किसी कुआं या तालाब का जल नहीं रखना चाहिए। इसके साथ ही कांवड़ को हमेशा स्नान के बाद छूना चाहिए। (Indian Express) -
कांवड़ को कहां रखें?
यात्रा के दौरान कांवड़ को भूलकर भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। अगर यात्रा में रुक रहे हैं तो कांवड़ को स्टैंड या डाली पर लटका कर रखना चाहिए। कांवड़ को जमीन पर रखना अशुभ माना जाता है। (Indian Express) -
भोजन
कांवड़ियों को यात्रा के दौरान स्वच्छ भोजन करना चाहिए। इस दौरान तामसिक भोजन से दूरी बना कर रखनी चाहिए और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। (Indian Express) -
झूठ और निंदा
कांवड़ यात्रा के दौरान वाणी पर भी संयम रखना जरूरी होता है। इस दौरान न तो झूठ बोलना चाहिए और न ही किसी की निंदा करनी चाहिए। साथ ही किसी को दुख भी नहीं पहुंचाना चाहिए। (Indian Express) -
क्रोध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा के दौरान क्रोध नहीं करना चाहिए। इस दौरान मन को शांत रखकर यात्रा करनी चाहिए। (Indian Express)