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सुचेता कृपलानी को मुख्यमंत्री की कुर्सी आसानी से नहीं मिली थी, बल्कि वह कई बार अंग्रेजी हुकुमत के फरमान के विरोध के कारण जेल भी जा चुकी थीं। नेहरू के ट्रिस्ट विद डेस्टिनी स्पीच से पहले इन्होंने वंदे मातरम गाया था।
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हरियाणा के अंबाला में 25 जून 1908 में जन्मी सुचेता दिल्ली, लुधियाना से अपनी पढ़ाई करने के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संवैधानिक इतिहास की प्राध्यापक भी थीं।
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1936 में सोशलिस्ट लीडर जे बी कृपलानी से शादी करने वाली सुचेता भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुईं थीं।
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आजादी के वक्त नोआखाली में दंगे हुए तब महात्मा गांधी के साथ सुचेता भी गई थीं। 1952 के लोकसभा चुनाव में सुचेता ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था और जीती भी थीं, लेकिन बाद में1957 में वह कांग्रेस में आ गई और चुनाव जीती तो नेहरू ने उन्हें राज्यमंत्री बना दिया था
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बाद में 1967 में गोंडा से जीतकर ये फिर संसद पहुंची थीं। वहीं, 1962 में सुचेता को यूपी के बस्ती सीट मेंढवाल से खड़ा कर विधानसभा भेजा गया ताकि उन्हें यूपी की कमान सौंपी जा सके। इसके बाद वह 1963 में देश और यूपी की पहली महिला सीएम बनी थीं।
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सुचेता कृपलानी पर लिखी गई किताब ग्रेट वुमन ऑफ मॉडर्न इंडिया नाम में जिक्र है कि जब वह नोआखाली में घूमती थी तो अपने साथ सायनाइड रखती थीं, क्योंकि उस वक्त वहां पर औरतें सुरक्षित नहीं थीं।
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सीएम होने के बाद भी सुचेता को अनहोनी का डर रहता था और इसलिए वह सायनाइड लेकर चलती थीं। Photos: Social Media