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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक सलाह बहुत आम हो गई है- ‘थोड़ा-थोड़ा खाते रहो, इससे शरीर हल्का रहता है और ऊर्जा बनी रहती है।’ लेकिन क्या यह सचमुच स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है? या हम अनजाने में अपनी पाचन शक्ति को रोज थोड़ा-थोड़ा कमजोर कर रहे हैं? आधुनिक दुनिया ने भोजन को सिर्फ ‘खाने की वस्तु’ बना दिया है, जबकि आयुर्वेद भोजन को संस्कार, साधना और जीवन-शक्ति का स्रोत मानता है। (Photo Source: Pexels)
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क्या कहता है आयुर्वेद?
आप क्या खाते हैं यह आपकी पसंद है, लेकिन आप कब खाते हैं, यह आपके जीवन की परिष्कृति तय करता है। अगर भोजन के बीच शरीर को विराम नहीं मिलेगा, तो पाचन कभी पूर्ण नहीं हो पाएगा। अपूर्ण पाचन ही ‘टॉक्सिन’ बनकर शरीर को धीरे-धीरे बीमार करता है। (Photo Source: Pexels) -
शरीर की असली सुरक्षा प्रणाली
आयुर्वेद में ‘जठराग्नि’ (Digestive Fire) को सबसे महत्वपूर्ण शक्ति माना गया है। यह तय करती है भोजन पचेगा या सड़ेगा, शरीर पोषण पाएगा या विष, ऊर्जा बनेगी या थकावट, रोग टिकेंगे या मिटेंगे। अगर जठराग्नि मजबूत है तो शरीर खुद रक्षा करता है। अगर जठराग्नि कमजोर है तो अच्छा भोजन भी नुकसान कर सकता है। (Photo Source: Pexels) -
जठराग्नि कब कमजोर होती है?
बार-बार कुछ न कुछ खाने से, बिना भूख खा लेने से, अधपचे भोजन पर नया भोजन पेट में डालने से, देर रात भारी भोजन करने से, मानसिक तनाव में खाने से। हर भोजन के बाद अग्नि को शांत होने और पूरा पाचन करने के लिए समय चाहिए। बार-बार खाने से अग्नि बुझने लगती है। (Photo Source: Pexels) -
बार-बार खाने का असली नुकसान
जब आप हर थोड़ी देर में खाते हैं, तो पिछला भोजन पूरा पचता ही नहीं, नया खाना पुराने से मिलकर ‘टॉक्सिक’ बनाता है, शरीर रिपेयर मोड में नहीं जा पाता, भूख प्राकृतिक की जगह भावनात्मक (emotional eating) बन जाती है। (Photo Source: Pexels)
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लंबे समय तक अगर ये प्रक्रिया दोहराई जाती है तो यह गैस और एसिडिटी, मोटापा और धीमा मेटाबॉलिज्म, हार्मोनल असंतुलन, लगातार थकान, स्किन प्रॉब्लम्स (मुंहासे, डलनेस), सुस्ती और लो एनर्जी जैसी समस्याएं पैदा करता है। यानी बार-बार खाना स्वास्थ्य नहीं, धीमी गिरावट है। (Photo Source: Pexels)
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निश्चित समय पर भोजन के अद्भुत लाभ
जब आप निश्चित समय पर भोजन करते हैं तो पाचन गहराई से होता है, शरीर का रिपेयर मोड सक्रिय होता है, ब्लड शुगर स्थिर रहती है, मन शांत और केंद्रित रहता है, दिन भर ऊर्जा समान रहती है, भूख प्राकृतिक और नियमित बनती है। यह सिर्फ आदत नहीं, एक बायोलॉजिकल है। हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक तभी सही चलती है जब भोजन सही समय पर मिले। (Photo Source: Pexels) -
आयुर्वेद के भोजन नियम
दिन में 2–3 बार भोजन, केवल भूख में खाएं, हर भोजन को पूरी तरह पचने दें, प्रतिदिन तय समय पर भोजन करें। (Photo Source: Pexels) -
इन आदतों से बचें
बोरडम में खाना, स्ट्रेस में खाना, बार-बार कुछ-कुछ खाते रहना, आदत या क्रेविंग में खाना। (Photo Source: Pexels) -
क्या आधुनिक विज्ञान भी यही कहता है?
हां, आज जिसे विज्ञान मेटाबोलिक रीसेट (Metabolic Reset) कह रहा है, आयुर्वेद उसे सदियों से भोजन दर्शन कहता आया है। यानी आयुर्वेद का दृष्टिकोण आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करने लगा है। (Photo Source: Pexels)
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