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सनातन धर्म में सावन का महीना बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने भोलेनाथ की पूजा-आराधना की जाती है। सावन का महीना न केवल वर्षा ऋतु के आगमन को दर्शाता है बल्कि यह भक्ति, आध्यात्मिकता और उत्सवों का महीना भी होता है। (PTI)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। (PTI)
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सावन के महीने में ही कुंवारी कन्याओं और सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने हाथों में मेहंदी लगाने और पेड़ों पर झूले डालने की भी परंपरा है। सावन महीने में विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार भी करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस माह में झूला झूलने, हरे रंग के कपड़े पहनने और मेहंदी लगाने का क्या महत्व है। (Indian Express)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में विवाहित महिलाओं का मेहंदी लगाना उनके पति के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना गया है। मेहंदी लगाने से पति और पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। मान्यता है कि, मेहंदी लगाने से माता पार्वती और भगवान शिव खुश होते हैं और सुहागिनों पर उनकी कृपा-दृष्टि सदैव बनी रहती है। (Indian Express)
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सावन में ही झूला डालने और झूलने की भी परंपरा काफी पुरानी है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को सावन में ही झूला झुलाया था। तभी से सावन में झूला झूलने की परंपरा चलती आ रही है। हिंदू धर्म में झूला झूलना पवित्रता का भी प्रतीक माना गया है। (Indian Express)
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सावन महीने में हरी रंग की साड़ी और चूड़ियां भी पहनने की परंपरा है। दरअसल, हरा रंग भगवान शिव को अति प्रिय है। हरा रंग प्रकृति का प्रतीक है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रकृति देवी पार्वती का ही स्वरूप है। (Indian Express)
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सावन का महीना वर्षा ऋतु का महीना होता है और इस माह में चारों ओर हरियाली छा जाती है। इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि, हरा रंग पहनने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। (Indian Express)
