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  मंत्रों और धार्मिक प्रतीकों का हमारे जीवन में विशेष स्थान है। भारतीय संस्कृति में मंत्रों का जप, पूजा और ध्यान को अत्यधिक महत्व दिया गया है। वहीं, आजकल फैशन और भक्ति के नाम पर कई लोग ऐसे वस्त्र पहनने लगे हैं जिन पर धार्मिक मंत्र, जैसे गायत्री मंत्र, शिव मंत्र, वासुदेव मंत्र आदि, छपे होते हैं। (Photo Source: Pexels)
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  कुछ इसे श्रद्धा की अभिव्यक्ति मानते हैं, तो कुछ इसे एक आध्यात्मिक स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में अपनाते हैं। लेकिन क्या वास्तव में यह परंपराओं और शास्त्रों के अनुसार उचित है? क्या मंत्रों वाले वस्त्र पहनना ठीक है? (Photo Source: Unsplash)
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  प्रेमानंद जी महाराज की चेतावनी
वृंदावन के संत श्री प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज, जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। वृंदावन के प्रेमानंद महाराज में अक्सर भक्त अपने सवालों का जवाब खोजने प्रेमानंद महाराज के आश्रम आते हैं। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -  
  ऐसे में जब एक भक्त जब शिव मंत्र छपे वस्त्र पहनकर उनके आश्रम पहुंचा, तो महाराज जी ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मंत्रों वाले वस्त्र पहनना उचित नहीं है। (Photo Source: Pexels)
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  प्रेमानंद जी महाराज ने व्यक्ति से कहा, “पहली हमारी प्रार्थना है जो आपने वस्त्र पहना है, वह न पहनें क्योंकि इसमें मंत्र लिखा हुआ है। यह कलयुग में एक नया चलन बन गया है, जो सही नहीं है। कलयुगी लोगों ने इसे शुरू कर दिया है।” (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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  उन्होंने आगे कहा, “ये वैदिक मंत्र हैं जो हृदय में होने चाहिए, कपड़े पर नहीं।” उन्होंने यह भी समझाया कि मंत्रों का प्रयोग केवल आंतरिक साधना के लिए होता है, न कि दिखावे के लिए। (Photo Source: Unsplash)
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  उन्होंने कहा, “यह मंत्र एक दिव्य साधना का हिस्सा है, जिसे गुरु से दीक्षा प्राप्त करके ही करना चाहिए, वह भी उपांशु (धीरे-धीरे) या मानसिक जप के रूप में। इसे बाहर उच्चारण नहीं किया जाता।” (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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  कीर्तन और फैशन का भ्रामक रूप
महाराज जी ने यह भी कहा कि आजकल लोग वैदिक मंत्रों को कीर्तन में प्रयोग कर रहे हैं, जो शास्त्र सम्मत नहीं है यानी धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार सही नहीं है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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  उन्होंने कहा, “पंचाक्षरी, आद्याक्षरी, शिव मंत्र, गायत्री मंत्र – ये सब मानसिक जप के लिए होते हैं। इनका सार्वजनिक उच्चारण या कीर्तन अशुभ फल देने वाला हो सकता है।” (Photo Source: Pexels)
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  प्रेमानंद जी ने कहा, “कलयुग का प्रभाव बढ़ रहा है तो लोग इन सबका कीर्तन सार्वजिक रूप से कर रहे हैं जो बुद्धि भ्रष्ट करने वाला कार्य है। वे समझते हैं अच्छा होता है, लेकिन नहीं ये सब अमंगलकारी है, मंगल नहीं हो सकता।” (Photo Source: Reddit)
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  मंत्रों का अपमान ना करें
जब किसी वस्त्र पर मंत्र लिखा होता है, तो वह हर जगह पहना जाता है – चाहे वह शौचालय हो, बाजार हो या अन्य स्थान। इससे उन पवित्र मंत्रों का अपमान होता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -  
  प्रेमानंद जी महाराज ने कहा, “ऐसे वस्त्रों को पहनने के बजाय उन्हें यमुना जी में प्रवाहित कर दें और भविष्य में न पहनें।” क्योंकि यह मंत्रों के सम्मान और उनकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए सबसे उचित होगा। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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