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पिछले कुछ दशकों में भारत में थायरॉइड के मामलों में काफी सुधार आया था। 1990 के दशक में थायरॉइड की समस्या तेजी से बढ़ रही थी, मुख्य कारण था आहार में आयोडीन की कमी और लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता का अभाव। (Photo Source: Unsplash)
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आयोडीन युक्त नमक – थायरॉइड का बचाव
इसी कमी को देखते हुए भारतीय सरकार ने सभी नमकों में आयोडीन मिलाना अनिवार्य कर दिया। इस कदम से थायरॉइड के मामलों में काफी गिरावट आई। (Photo Source: Pinterest) -
देश में बड़े नमक उत्पादक जैसे कि टाटा और अन्य कंपनियों ने इस पहल में अहम भूमिका निभाई। (Photo Source: Tata Consumer Products)
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पिंक साल्ट – एक नई चुनौती
हालांकि, हाल के वर्षों में स्वास्थ्य को लेकर लोगों की जागरूकता बढ़ी है। इसी कारण लोग आयोडीन युक्त टेबल साल्ट के बजाय पिंक साल्ट की ओर बढ़ रहे हैं। (Photo Source: Pinterest) -
पिंक साल्ट में आयोडीन की मात्रा न के बराबर होती है, और इसका नियमित सेवन थायरॉइड की समस्या को फिर से बढ़ा सकता है। (Photo Source: Freepik)
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एक्सपर्ट्स के अनुसार, बाजार में मिलने वाला 98% पिंक साल्ट केवल साधारण सोडियम है, जबकि बाकी 2% में केवल कुछ खनिज पाए जाते हैं। यह स्वास्थ्यवर्धक होने का दावा केवल मार्केटिंग ट्रिक है। (Photo Source: Pinterest)
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सही तरीका – संतुलित सेवन
यदि आप स्वास्थ्य के प्रति सजग हैं और पिंक साल्ट का सेवन करना चाहते हैं, तो इसका एक आसान और सुरक्षित तरीका है – पिंक साल्ट को टेबल साल्ट में मिलाकर उपयोग करें। (Photo Source: Pinterest) -
इससे आपको पिंक साल्ट के प्राकृतिक खनिज और टेबल साल्ट में मौजूद आयोडीन दोनों का लाभ मिलेगा। (Photo Source: Freepik)
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