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बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर और संजय कपूर का तलाक का मामला एक समय बेहद पेचीदा हो गया था। करिश्मा ने जहां संजय कपूर पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया था, वहीं संजय कपूर ने भी करिश्मा के खिलाफ कई केस किए थे। बच्चों की कस्टडी को लेकर भी मामला उलझता जा रहा था। ऐसे में कोर्ट ने दोनों पक्ष के सामने ‘रजामंदी शर्तों’ को रखा था और कहा था कि यदि वे आपसी सहमति से कुछ शर्तों को मान लेंगे तो तलाक आसानी से मिल सकेगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने करिश्मा कपूर और उनके पति संजय कपूर के बीच वैवाहिक विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने का मौका और शर्त दोनों ही बता दिया था। इसे भी पढ़ें-करिश्मा कपूर के लिए दीवानगी BJP के ‘निरहुआ’ को पड़ी थी भारी, मिली थी ऐसी सजा
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जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस आरके अग्रवाल की पीठ के सामने करिश्मा के वकील संदीप कपूर ने कोर्ट को बताया था कि दोनों ही पक्ष की शर्तों पर सहमति बन गई है और उसके बाद ही तलाक को अदालत ने मंजूर किया था।
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पहली शर्त के अनुसार संजय कपूर को मुंबई की एक अदालत में दायर करिश्मा के खिलाफ याचिका को वापस लेना था। वहीं, दूसरी शर्त के मुताबिक करिश्मा को संजय के खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत दर्ज मामले को वापस लेने के लिए कहा गया था।
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तीसरी शर्त के तहत दोनों बच्चे की कस्टडी करिश्मा के पास होनी थी, लेकिन उनके पति को छुट्टियों के दौरान अपने दोनों बच्चों से मिलने का अधिकार देना था। इसे भी पढ़ें- सनी देओल ने जब करिश्मा कपूर से लिया था सालों पुराना बदला, किया था कुछ ऐसा कि लोलो रह गई थीं दंग
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चौथी शर्त के तहत करिश्मा और संजय दत्त को आपसी सहमती से वित्तीय पहलुओं पर सामाधान निकालना था। इसे भी पढ़ें- करिश्मा कपूर की इस बात से जब गोविंदा रह गए थे दंग, फिर हुआ कुछ ऐसा कि सुनकर लोलो गईं शरमा
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दोनों पक्ष के वकीलों ने जब कोर्ट में शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित ‘रजामंदी शर्तों’ को पेश किया, तब जाकर अदालत ने दोनों के तालक की मंजूरी पर मुहर लगाई थी। इसे भी पढ़ें- करिश्मा कपूर से अमृता सिंह तक, ये सिंगल मदर्स अपनी बेटियों के साथ शेयर करती हैं खास बॉन्ड
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Photos: Social Media
