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1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब लोकसभा चुनाव हुआ तो ग्वालियर राजघराने में सबसे ज्यादा तनाव का माहौल था। राजमाता के लिए ये चुनाव अंतरद्वंद का कारण बन गया था, क्योंकि ग्वालियर से बीजेपी की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव मैदान में थे और दूसरी ओर उनके खिलाफ उनके बेटे माधवराव सिंधिया कांग्रेस से खड़े थे। राजामाता के लिए धर्मसंकट था, क्योंकि अटल उनके लिए पुत्र जैसे ही थे।
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इंदिरा गांधी की हत्या के कारण जनता में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति थी। इसलिए कांग्रेस मजबूत थी। लेकिन अटल और माधवराव का साथ खड़ा होना भी कम विवाद भरा नहीं था। इसे भी पढ़ें-ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव से डरकर जब अहमद पटेल क्रिकेट में सेंचुरी नहीं बना सके थे
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खास बात ये थी की अटल बहारी ने राजमाता का खुद को धर्मपुत्र बताकर ग्वालियर की जनता के सामने खड़े थे। इसे भी पढ़ें- सिंधिया राजघराने में शिवलिंग के लिए जब हुआ था विवाद, राजमाता विजयाराजे ने कर दिया था अनशन
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राजमाता विजयाराजे माधवराव के कांग्रेस में जाने से वैसे ही नाराज थी और जब धर्मपुत्र की बात आई तो उन्होंने नैतिकता के आधार पर अटल बिहारी का साथ दिया।
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राजमाता ने अटल बिहारी वाजपेयी के लिए ग्लवालियर में बेटे के खिलाफ जाकर चुनाव प्रचार किया था। इसे भी पढ़ें- ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता शादी के वक्त शाही परंपरा चाहते थे तोड़ना, महल तक आई थी शाही ट्रेन
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कांग्रेस को मिली सहानुभूति का असर माधवराव सिंधिया के चुनाव में भी देखने को मिला और मतगणना में माधवराव सिंधिया ने अटल बिहारी को बड़े अंतर से हरा दिया था।
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राजमाता और माधवराव सिंधिया के बीच ये चुनाव भी एक बड़े मतभेद का कारण बन गया था। Photos: Social Media
