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साल 1984 की जब इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से चुनाव लड़ने की गुजारिश की थी। उनका मुक़ाबला था उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवतीनंदन बहुगुणा से से था। राजीव गांधी के साथ उस समय देश की जनता भावनात्मक रूप से जुड़ी थी, लेकिन इलाहाबाद से अमिताभ के लिए बहुगुणा चुनौती थे और मतदान के पहले चरण में बिग बी चुनाव हार रहे थे, तब अमिताभ के लिए वोट मांगने जया बच्चन भी आई थीं।
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बीबीसी के पत्रकार रेहान फ़ज़ल से बातचीत में पत्रकार कुमकुम चड्ढा ने साल 1984 के चुनाव का हाल बताया था।
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उनका कहना था कि चुनाव में बच्चन अपना रोल नहीं बदल पाए थे और वह खुद को स्टार के किरदार से बाहर नहीं ला पाए थे। बिग बी सर्किट हाउस में बंद कमरे से चुनाव लड़े थे। उनके चुनाव प्रचार की ज़िम्मेदारी उनके छोटे भाई अजिताभ के हाथों में थी और भाई का रोल होता था लोगों को भगाना।
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कुमकुम का कहना था कि ‘सर्किट हाउस का गेट बंद रहता था औरअमिताभ के कमरे का दरवाज़ा भी बंद रहता था। जबकि इसके विपरीत बहुगुणा लोगों से प्यार से मिलते थे और सबको हाथों-हाथ लिया जाता था। चुनाव प्रचार में हर जगह अमिताभ रटे-रटाए 3-6 वाक्य ही बोला करते थे।
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कुमकुम का कहना था कि अमिताभ को चुनाव की बारीकियों और गहमागहमी की बिल्कुल भी समझ नहीं थी। शुरू में बिग बी शर्तिया चुनाव हार रहे थे। उनके पक्ष में हवा तब बदली जब जया चुनाव प्रचार के लिए उतरी थीं।
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जया ने तब लोगों से कहा था कि वह इलाहाबाद की बहू हैं और शादी के बाद वह पहली बार अपनी ससुराल आई हैं। अपनी बहू को आप देख रहे हैं तो मुंह दिखाई भी चाहिए और मुंह दिखाई में आप लोग अमिताभ जी को वोट दीजिए। यही मेरी मुंह देखाई होगी।
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अमिताभ के लिए जया का चुनाव प्रचार करना उनकी हार की हवा के रुख को बदल दिया था।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्य नारयण मिश्र का कहना था कि जया बच्चन का इलाहाबाद पहुंचना ही अमिताभ की जीत का कारण बना था।
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बता दें कि जया के चुनाव मैदान में प्रचार के लिए आने के बाद अमिताभ के लिए हर उम्र वर्ग की महिलाओं ने जमकर वोट किया था।
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Photos: Social Media