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कॉरपोरेट की दुनिया में बहुत से ऐसे बिजनेस लीडर्स हैं जो अपनी जुदा कार्यशैली से अपने बिजनेस को आसमान की ऊंचाइयों तक ले जा चुके हैं। फिर चाहे इनमें अमेजन के सीइओ जेफ बेजॉस हों या फिर एप्पल के को फाउंडर स्टीव जॉब्स। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला अपनी मीटिंग्स को ज्यादा प्रोडक्टिव बनाने के लिए थ्री रूल मेथड अपनाते हैं। ये थ्री रूल हैं- ज्यादा सुनो, कम बोलो और समय आने पर उचित फैसला लो। आइए जानते हैं दूसरे मशहूर बिजनेस लीडर्स के ऐसे ही कुछ अनूठे नियमों को। (Photo: PTI)
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जेफ बेजॉस, सीईओ, अमेजन: मीटिंग के लिए कितने लोगों की टीम बनाई जाए इस बात को तय करने के लिए जेफ बेहद मजेदार मेथड अपनाते हैं। वो उतने लोगों के साथ ही मीटिंग करते हैं जितने में दो से ज्यादा पिज्जा ना लगे। कॉर्पोरेट वर्ल्ड में इसे टू पिज्जा रूल भी कहा जाता है। इसके अलावा वह बिना पॉवर पॉइन्ट के मीटिंग्स लेते हैं। उनकी मीटिंग्स में धीमी आवाज में मेमो पढ़े जाते हैं। (Photo source: Reuters)
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स्टीव जॉब्स, को-फाउंडर, एप्पल आईएनसी: स्टीव जॉब्स अपनी मीटिंग्स को लेकर काफी उदार थे। उनका मानना था कि जिसके लिए बेहद जरूरी ना हो वो मीटिंग्स से बाहर रह सकता है। हालांकि स्टीव अपने काम को लेकर काफी सख्त भी थे। एक बार उन्होंने तत्कालीन यूएस प्रेसीडेंट बराक ओबामा द्वारा बुलाई गई टेक लीडर्स की मीटिंग से ये कहते हुए खुद को किनारे कर लिया था कि मीटिंग में काफी भीड़ है। (Photo source: AP)
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शेरील सैंडबर्ग, सीओओ, फेसबुक: शेरील अपनी हर मीटिंग में अपने साथ एक नोटबुक ले जाती हैं जिसमें मीटिंग में डिस्कस की जाने वाली सारे अहम बिंदुओं के बारे में लिखा होता है। वो सिलसिलेवार तरीके से इन बिंदुओं पर चर्चा करती हैं और उसपर टिक करते जाती हैं। अगर एक घंटे की प्रस्तावित मीटिंग में 10 मिनट के अंदर ही सारे बिंदुओं पर बात हो जाए तो मीटिंग तभी खत्म कर देती हैं। (Photo: Sheryl Sandberg/fb)
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मार्क पार्कर, सीईओ, नाइकी: पार्कर अपनी मीटिंग्स में रचनात्मकता और संतुलन पर ज्यादा फोकस करते हैं। बताया जाता है कि वह अपनी हर मीटिंग में एक नोटबुक लेकर जाते हैं। इस नोटबुक के बाएं पेज पर बिजनेस संबंधी रचनात्मकता के बारे में लिखा रहता है और दाएं तरफ के पेज पर कंपनी की कार्यशैली के बारे में लिखा होता है। ये पार्कर का तरीका है कंपनी की कार्यशैली और बिजनेस की जरूरतों में संतुलन बनाए रखने का। पार्कर का मानना है कि "हम में से अधिकांश संतुलन से बाहर हैं, इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन आपको सफल होने के लिए समग्र संतुलन पर नजर रखने की जरूरत होती है।" (Photo source: Nike)
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लैरी पेज: लैरी साल 2011 में गूगल के सीईओ थे। कहा जाता है कि उन्होंने मीटिंग्स को ज्यादा उत्पादक बनाने के लिए कंपनी में मेल भी चलाया था। पेज का कहना था कि मीटिंग्स जितनी छोटी हो सके उतनी छोटी करें। हर मीटिंग किसी ना किसी नतीजे पर पहुंचनी चाहिए। पेज ने कंपनी में ये निर्देश भी दिए थे कि तुरंत फैसला लेना अगर जरूरी हो तो किसी मीटिंग का इंतजार ना करें। और अगर कभी लगे कि तुरंत मीटिंग की जरूरत है तो बिना शेड्यूल के भी मीटिंग्स बुलाई जा सकती हैं। (Photo source: Reuters)
