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पति-पत्नी का रिश्ता बाहरी खूबसूरती से कहीं ज्यादा गहरा और मजबूत होता है। ये रिश्ता प्यार, दोस्ती और समर्पण पर टिका होता है। सनातन धर्म में पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों तक होता है। (Photo: Pexels)
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वहीं, सनातन धर्म के अनुसार विवाह के बाद पति के आधे पुण्य का भाग पत्नी को मिलता है। लेकिन क्या पत्नी के आधे पाप का भागीदार पति भी होता है या नहीं? (Photo: Pexels)
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दरअसल, प्रेमानंद महाराज से एक भक्त यही सवाल करता है जिसपर वो एक श्लोग पढ़कर जवाब देते हैं। ‘उद्याने मद्यपाने च राजद्वारे पितागृहे । आज्ञया बिना न गन्तव्यं पतिव्रत परायणे’। ये श्लोक विवाह में सात फेरे के दौरान पढ़ा जाता है। (Photo: Pexels)
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इसका अर्थ है बाग बगीचों में, मदिरा पीने वालों के मार्ग में, राजा के द्वार और पिता के घर बिना पति की आज्ञा के न जाएं और यही पत्नी के लिए भी है। (Photo: Pexels)
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, विवाह के वचनों के बाद शरीर दो होंगे लेकिन उनके कर्म एक हो जाते हैं। जो भी काम करना है धर्म में रहकर करना है और दोनों धर्म के प्रताप से भगवान को प्राप्त करेंगे। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार पत्नी को बिना बताए पति को कहीं नहीं जाना चाहिए। कोई भी मनमानी आचरण नहीं करना चाहिए। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB) पूजा में रोज पढ़ते हैं मंत्र? प्रेमानंद महाराज से जानें जाप करना चाहिए या नहीं
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जहां कोई मदिरा पान कर रहा हो उस स्थान पर बिना पत्नी की सलाह या उसे बताए बिना पति को कभी नहीं जाना चाहिए। (Photo: Pexels)
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कोई भी धर्म का कार्य करें उससे पहले अपनी पत्नी से सलाह जरूर ले लें। (Photo: Pexels)
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार विवाह के बाद दो शरीर सिर्फ दिखने में रहेंगे लेकिन हमारी रुचि और भाव एक ही रहेगा। अगर आप इस संकल्प से अलग हैं तो आप पति पत्नी ही नहीं हैं। आपके जीवन में सिर्फ नाटक चल रहा है। (Photo: Pexels)
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इसके आगे वो बताते हैं कि, अगर आप वास्तव में पति-पत्नी हैं तो जो भी काम करेंगे एक दूसरे की सलाह से करेंगे। जो भी गलती होगी या जो भी कर्म करेंगे दोनों का होगा। (Photo: Pexels)
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एक उदाहरण देते हुए प्रेमानंद महाराज समझाते हैं अगर हमारी दोनों आंखें अलग-अलग कुछ देख लें तो इसका फल अलग-अलग नहीं मिलेगा। भोक्ता हमी बनेंगे। ऐसे ही पति पत्नी का भी रिश्ता होता है। (Photo: Vrindavan Ras Mahima/FB)
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि पत्नी को अर्धांगनी कहा गया है। अगर दोनों अलग-अलग जीवन जी रहे हैं तो समझें की ये रिश्ता खत्म हो चुका है। (Photo: Pexels) प्रेमानंद महाराज ने बताया प्याज लहसुन खाने वाले लड्डू गोपाल की सेवा कैसे करें?