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श्रीमद्भागवत गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि जीवन का एक गहन मार्गदर्शन भी है। गीता का ज्ञान मनुष्य को कर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। (Photo: ChatGPT) मंदिर या फिर वृक्षों के चारों ओर परिक्रमा क्यों करते हैं? क्या कहते हैं इसे
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गीता के यह उपदेश हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करते हैं। यह आध्यात्मिकता के साथ ही सफलता, शांति और आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मदद करेंगे। (Photo: ChatGPT)
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अगर जीवन में धोखा खाकर थक चुके हैं तो अपने जेहन में गीता के यह उपदेश गांठ बांध दें। आने वाले समय में आप सितारों की तरह चमक सकते हैं। (Photo: ChatGPT)
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1- क्रोध पर नियंत्रण
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि क्रोध व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट कर देता है, इसलिए धैर्य बनाए रखना आवश्यक है। शाम के वक्त घर में क्यों जलाया जाता है कपूर का तेल और लौंग -
2- विश्वास
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा ही वह बन जाता है। -
3- सबसे बड़ा शत्रु
जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित नहीं कर सकता है, वह स्वयं का शत्रु बन जाता है। -
4- शत्रु और मित्र
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि इस संसार में न कोई तुम्हारा शत्रु है और न ही कोई मित्र है, यह केवल तुम्हारे कर्मों का खेल है। किसी शुभ काम से पहले नारियल क्यों तोड़ते हैं? जानें क्या है महत्व -
5- दूसरों से तुलना
श्रीमद्भागवत गीता में कहा गया है कि किसी और से तुलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि, हर व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर महान बनता है। -
6- भगवान किसका भला करते हैं
जो दूसरों की भलाई करता है, उसकी भलाई स्वयं भगवान करते हैं। -
7- आनंद में कौन रहता है
वह व्यक्ति सदा आनंद में रहता है जो अपनी इच्छाओं को वश में रखता है। स्वाहा क्यों बोला जाता है? क्या इसके बिना अधूरी होती है पूजा, जानें क्या है महत्व -
8- सफल कौन होता है
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार जो व्यक्ति अभ्यास में विश्वास रखता है और लगातार प्रयत्न करते रहता है, वह सफलता को प्राप्त करता है। -
9- ज्ञान क्या है
सबसे बड़ा और सच्चा ज्ञान वही है, जो अहंकार को नष्ट कर दे। -
10- सबसे बड़ा धन
इस संसार में ज्ञान से बड़ा कोई धन नहीं है और अज्ञानता से बड़ा कोई शत्रु नहीं। गीता उपदेश: बुरी तरह उलझी हुई है जिंदगी तो याद कर लें गीता के यह सात उपदेश, सब लगने लगेगा आसान
