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देखो किससे बात कर रहा है बाबा,कुत्ते से
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जैसा समझ रहे हैं वैसा नहीं है बस नजर का फेर है
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आदनी ही अंदर,भूख बड़ी चीज है
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कैप्टन साहब बीच में सो रहे हैं…
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ये क्या हुआ,कैसे हुआ,ये ना पूछो
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किसका हाथ है,किसका साथ है,क्या बात है ?
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लोगों ने भी बैठने के लिए पता नहीं कैसी-कैसी वाहियात कुर्सी बना दी है कि कुछ ओर ही दिखता है
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इसे कहते हैं दूर से काबू में रखना..
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ऐसी टीशर्ट चार आदमियों के बीच बेइज्जती करा देती है..