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देश भर में नागरिकता कानून और एआरसी पर बहस छिड़ी हुई है। इन मुद्दों पर समाज बंटा हुआ दिख रहा है। कुछ लोग इस कानून का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं बहुत से लोग इसके विरोध में सड़को पर उतर आए हैं। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में यह मुद्दा छाया हुआ है। सोशल मीडिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस नागरिकता कानून के लिए सरकार पर हमलावर बने हुए हैं। ये लोग सोशल मीडिया के जरिए ही सरकार पर निशाना साध रहे हैं। हाल ही में The Deshbhakt With Akash Banerjee नाम के एक फेसबुक पेज से एनआरसी और नागरिकता कानून के लिए सरकार पर कटाक्ष करते पोस्टर शेयर किए हैं। ये पोस्टर वायरल हो रहे हैं। इन पोस्टर्स को शेयर करते हुए लिखा गया है कि ये 'सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त फिल्म पोस्टर्स हैं'। (All Photos: The Deshbhakt The Deshbhakt With Akash Banerjee Facebook )
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नागरिकता कानून को देश में मुसलमान अपने खिलाफ साजिश बता रहे हैं। लोग बोल रहे हैं कि सरकार एक समुदाय विशेष के प्रति अपनी नापसंदगी को जाहिर कर रही है। इसी पर कटाक्ष करते हुए मनमोहन देसाई की फिल्म अमर अकबर एंथोनी के पोस्टर से अकबर को हटा दिया गया है। बता दें कि फिल्म में अकबर मुस्लिम किरदार का नाम था।
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जोया अख्तर की फिल्म जिंदगी ना मिलेगी दोबारा से जिंदगी की जगह सिटिजनशिप लिख दिया गया है।
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एनआरसी, सीएए और एनपीआर पर चल रहे विवाद को देखते हुए करण जौहर की फिल्म कभी खुशी कभी गम को एडिट कर कभी एनआरसी कभी एनपीआर लिख दिया गया है।
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एनआरसी और सीएएस पर अमित शाह द्वारा क्रोनोलॉजी समझाने वाले वीडियोज वायरल हैं। इसी क्रोनोलॉजी को केंद्र में रखते हुए महेश भट्ट की दिल है कि मानता नहीं का नाम एडिट कर दिया गया है।
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नागरिकता कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग आजादी वाले नारे भी खूब लगा रहे हैं।
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लोग आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार नागपुर से संचालिच आरएसएस के इशारों पर काम कर रही है।