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मुंबई में 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार बम धमाकों के प्रमुख सूत्रधारों में से एक, याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन को गुरुवार की सुबह सात बजे नागपुर के केंद्रीय जेल में फांसी दे दी गई। नागपुर जेल में ही पोस्टमार्टम के बाद याकूब का शव उसके परिवार को सौंप दिया गया। परिवार के लोग विमान के जरिए याकूब का शव लेकर नागपुर से सुबह पौने 11 बजे मुंबई रवाना हुए। मुंबई पहुंचकर कड़ी सुरक्षा के बीच याकूब को चर्नी रोड स्थित बड़ा कब्रिस्तान में शाम पौने छह बजे सुपुर्दे खाक किया गया। यहीं उसके पिता अब्दुल रज्जाक को दफनाया गया था। (फोटो: मोनिका चतुर्वेदी)
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नागपुर से एअर एंबुलेंस के जरिए याकूब का शव उसके परिवार, जिसमें दो महिलाएं भी शामिल थीं, की निगहबानी में मुंबई लाया गया। हवाई अड्डे से याकूब का शव पहले दरगाह रोड माहिम स्थित उसके आवास अल हुसैनी बिल्डिंग ले जाया गया। अल हुसैनी के आसपास पुलिस का कड़ा सुरक्षा बंदोबस्त था और सादे कपड़ों में भी पुलिस की तैनाती की गई थी। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने 405 लोगों को पहले ही हिरासत में ले लिया था। अल हुसैनी के आसपास की दुकानें बंद थीं। मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने खुद यहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। त्वरित कार्रवाई बल (आरपीएफ) के जवानों को भी यहां तैनात किया गया था। (फोटो: वसंत प्रभु)
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हालांकि मुंबई में शांति थी लेकिन तनाव बरकरार था। रेड अलर्ट जारी कर दिया गया था और कुछ इलाकों में धारा 144 भी लगाई गई थी। खुफिया एजंसी के अलर्ट जारी करने के बाद याकूब की याचिका खारिज करनेवाले सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय खंडपीठ के जजों के यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। हालात के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी खास तौर पर गुरुवार को मुंबई में मौजूद थे। (फोटो: वसंत प्रभु)
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माहिम से एंबुलेंस के जरिए लगभग 11 किमी दूर मरीन लाइंस के पास स्थित बड़ा कब्रिस्तान में याकूब को दफन किया गया। पुलिस ने याकूब के परिवार को जनाजा निकालने की अनुमति नहीं दी थी। कब्रिस्तान में बड़ी संख्या में पहले ही लोगों का जमावड़ा याकूब के शव का इंतजार कर रहा था। बड़ा कब्रिस्तान के पास बड़ी तादाद में पुलिस वैन और पुलिसकर्मी देखने को मिल रहे थे। पुलिस ने सावधानी बरतते हुए जनाजे की वीडियो रिकॉर्डिंग करने, तस्वीरें खींचने, नारेबाजी करने आदि पर प्रतिबंध की चेतावनी जारी की थी। चर्नी रोड से मरीन लाइंस तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई थी। (फोटो: मोनिका चतुर्वेदी)
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इससे पहले गुरुवार की सुबह नागपुर की केंद्रीय जेल में याकूब को सुबह सात बजे तय समय पर फांसी देने की तैयारियां पूरी कर ली गई थी। जेल प्रशासन ने याकूब को सुबह साढ़े तीन बजे जगा दिया था। नहाने के बाद याकूब को नए कपड़े पहनने के लिए दिए गए। पौने चार बजे याकूब ने आखिरी नमाज अदा की और कुरान पढ़ी। फिर उसे उसकी पसंद का नाश्ता करवाया गया क्योंकि उसने बुधवार से कुछ खाया नहीं था। फांसी के तख्ते पर जाने से पहले याकूब की मेडिकल जांच की गई। (फोटो: मोनिका चतुर्वेदी)
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फांसी-स्थल के पास नागपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एमएम देशपांडे मौजूद थे। याकूब को विशेष टाडा अदालत का फैसला पढ़कर सुनाया गया, जिसके तहत उसे मृत्युदंड की सजा दी गई थी। याकूब को 6.35 बजे स्टूल पर खड़ा किया गया और जल्लाद ने फांसी का लीवर खींच दिया। फांसी की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। जल्लाद का काम उसी पुलिसकर्मी ने किया जिसने पुणे की येरवडा जेल में मुंबई पर हमला करनेवाले अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी पर चढ़ाया था। यह पुलिसकर्मी उस 20 सदस्यीय टीम का एक हिस्सा था जो येरवडा से नागपुर की जेल में हफ्ता भर पहले आई थी। (फोटो: मोनिका चतुर्वेदी)
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फांसी के लगभग आधा घंटे बाद, सात बजकर एक मिनट पर, डॉक्टरों ने याकूब की मौत की विधिवत घोषणा की। जेल में ही याकूब का पोस्टमार्टम किया गया। याकूब को फांसी की सजा जेल महानिरीक्षक योगेश देसाई की मौजूदगी में दी गई। याकूब का भाई सुलेमान और चचेरा भाई उस्मान बुधवार से ही नागपुर की होटल द्वारका में थे। (फोटो: मोनिका चतुर्वेदी)
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जेल अधिकारियों ने कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद याकूब का शव सुबह आठ बजकर 40 मिनट पर दोनों को सौंप दिया। शव परिवार को दिया जाए या नहीं, इस पर प्रशासन असमंजस में था। इस बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव के बीच विचार-विमर्श हुआ। सूबे की कानून व्यवस्था और हालात का जायजा लेने के बाद शव परिवार को सौंपने का फैसला किया गया। (फोटो: केविन डिसूजा)
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याकूब पर मुंबई बम धमाकों की साजिश रचने का आरोप था। मुंबई में 12 मार्च 1993 को लगभग दो घंटे में 12 जगहों पर धमाके हुए थे। इन बम धमाकों के लिए विस्फोटक मुंबई लाने और उन्हें रखने के लिए वाहनों का इंतजाम करने का आरोप याकूब पर था। इन बम धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और लगभग 700 लोग घायल हुए थे। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई इन धमाकों से हिल गई थी और बड़े पैमाने पर सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था। बम धमाके की योजना दुबई में रची गई थी, जिसमें गिरोह सरगना दाऊद इब्राहीम, टाइगर मेमन और याकूब मेमन शामिल थे। (फोटो: केविन डिसूजा)
